दमोह में राजनीतिक हलचल तेज, बीजेपी जला रही पटाखे तो कांग्रेस ने राहुल सिंह लोधी के पोस्टर पर पोती कालिख

Gaurav Sharma
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congress showing aggression on rahul singh lodhi

दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह के विधायक राहुल सिंह लोधी के द्वारा कांग्रेस का हाथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थामते ही दमोह में राजनीतिक सरगर्मियां तेजी से तेज हो गई हैं। राजनीतिक सरगर्मियां के चलते जहां राहुल सिंह लोधी के भाजपा में शामिल होते ही भारतीय जनता पार्टी के द्वारा घंटाघर पर पटाखे चलाए गए, वही कांग्रेस ने राहुल सिंह लोधी के पोस्टर पर कालिख पोत कर अपना विरोध दर्ज कराया।

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दरअसल, दमोह संसदीय क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण सीट दमोह विधानसभा से कद्दावर नेता रहे जयंत मलैया को हराकर कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी ने दमोह में कांग्रेस का परचम फहराया था। लेकिन राहुल सिंह लोधी के द्वारा भाजपा का दामन थाम लिए जाने के बाद दमोह में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है। जहां भारतीय जनता पार्टी के द्वारा घंटा घर पर पटाखे फोड़ कर राहुल सिंह लोधी के भाजपा में आने पर खुशियां मनाई तो वही कांग्रेस के द्वारा विरोध दर्ज कराते हुए राहुल सिंह लोधी के पोस्टर पर कालिख पोत कर मुर्दाबाद के नारे लगाए गए।

वही जहां भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष ने राहुल सिंह लोधी का भाजपा में स्वागत किया, तो वहीं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कुल मिलाकर आगामी दिनों में दमोह की राजनीतिक गतिविधियां परिवर्तित होंगी तथा नवीन घटनाक्रम देखने को मिलेंगे।

 

 

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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