कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, मिलेगा नए वेतन आयोग का लाभ, बकाया राशि जारी करने के आदेश, बढ़ेगा वेतन

Kashish Trivedi
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Employees New Pay Commission, High court news : शिक्षक कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर हैं। वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही बकाया राशि भी जारी करने के आदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए हैं। इतना ही नहीं उन्हें बकाए वेतन आयोग कभी लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं।

सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का लाभ

मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अस्थाई गैर अनुदानित निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों को भी सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का लाभार्थी माना है। हाईकोर्ट में प्रदेश उच्च और तकनीकी शिक्षा संचनालय को प्रदेश सरकार के नियम के अनुसार याचिकाकर्ताओं की बकाया राशि तय करने के भी आदेश दिए।अपने फैसले में हाईकोर्ट ने लोकमान्य तिलक जन कल्याण शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग हिंगना को सहायक प्राध्यापक को सातवें और छठे वेतन आयोग का लाभ देकर बकाया राशि भी जारी करने के निर्देश दिए हैं।

याचिकाकर्ता के अनुसार, यह सभी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत हैं। संस्थान द्वारा समय पर जारी पद भर्ती विज्ञापन के तहत नियुक्ति की सभी शर्त पूरी करते हुए उन्हें नौकरी दी गई थी। वही याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने छठे वेतन आयोग की सिफारिश को स्वीकार करके यूनिवर्सिटी और कॉलेज शिक्षकों के लिए भी से लागू किया था। इसी के तहत कॉलेज में सातवें वेतन आयोग को लागू किया जाना चाहिए।

कर्मी महंगाई भत्ते, एचआरए, सीआईए जैसे लाभों से कर्मी 

11 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र सरकार ने इसे प्रदेश भर में लागू किया था। वही नागपुर विश्वविद्यालय ने भी इस सिफारिश को स्वीकार करके इसे लागू किया था। बावजूद इसके याचिकाकर्ताओं को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार महंगाई भत्ते, एचआरए, सीआईए जैसे लाभों से वंचित रखा गया है।

याचिका पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का कॉलेज एक निजी गैर अनुदानित कॉलेज है। जिसकी सेवा सर्च राज्य सरकार के नियम के तहत संचालित नहीं होती है बल्कि शुल्क नियामक प्राधिकरण के अनुसार इन कॉलेजों की फीस यहां तक कि शिक्षकों के वेतन भी नियंत्रित किए जाते हैं।

6th-7th वेतन आयोग की सिफारिश अनुदानित कॉलेज के लिए लागू

राज्य सरकार द्वारा स्वीकार किए गए छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुदानित कॉलेज के लिए लागू होती है। वही शिक्षा संस्थानों ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया हैं। जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरोना के दौरान वे कुछ समय के लिए शिक्षकों को पूर्ण वेतन देने में असमर्थ थे। शिक्षकों ने इस परिस्थिति में संस्था का सहयोग किया लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सहयोग नहीं किया था।

हालांकि संबंधित कॉलेज एक निजी अनुदानित कॉलेज है। इसलिए उसकी सेवा शर्त और वेतन तय करने के अधिकार शिक्षा संस्थान को ही है। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा है गैर अनुदानित कॉलेज के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्हें बकाया राशि भी जारी करनी चाहिए।


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