देहरादून, डेस्क रिपोर्ट। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने एक बार फिर कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।कैबिनेट के फैसले के बाद राज्य सरकार मे नए भर्ती होने वाले कार्मिकों का ग्रेड वेतन केंद्र के समान देने को लेकर आदेश जारी कर दिए है। इसके तहत अब प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्त होने वाले नए कर्मचारियों का ग्रेड वेतन केंद्र के समान होगा।हालांकि यह पहले से नियुक्त कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा।ध्यान देने की बात है कि राज्य में पहले से ही कार्यरत कार्मिकों पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।
दरअसल, उत्तराखंड के सरकारी विभागों में होने वाली नियुक्तियों के वेतनमान सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (7th Pay Commission) की संस्तुतियों के अनुसार ही होंगे। इसके तहत ना तो आयोग से अधिसूचित वेतनमान से अधिक वेतन नहीं दिया जाएगा और ना ही वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों पर ये संशोधित वेतनमान लागू होंगे। उनके लिए वर्तमान व्यवस्था यथावत रहेगी। पुष्कर धामी कैबिनेट बैठक के फैसले के बाद वित्त सचिव, उत्तराखंड शासन ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किया।आदेश में साफ किया गया है कि भविष्य में नियुक्त होने वाले कार्मिकों को पदोन्नति के पदों का वेतनमान भी केंद्र के ही समान होगा।
इस फैसले से अब विभिन्न संवर्गों में केंद्रीय ग्रेड वेतन के साथ समानता होगी। राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग समेत विभिन्न भर्ती आयोगों या संस्थाओं के माध्यम से भविष्य में होने वाली नई भर्तियों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।विभिन्न निर्माण विभागों में कार्यरत अवर अभियंताओं, फार्मासिस्ट एवं पुलिस उप निरीक्षकों समेत कई संवर्गों का ग्रेड वेतन वर्तमान में केंद्र सरकार के समकक्ष पदों से अधिक है।मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार अब अवर अभियंता और उनके समकक्ष संवर्गों और पुलिस उप निरीक्षक का ग्रेड वेतन 4600 के स्थान पर 4200 हो जाएगा।
आदेश के मुताबिक, वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा राज्य कर्मचारियों एवं अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के कार्मिकों की विभिन्न मांगों / वेतन विसंगति के लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए अगस्त, 2021 में गठित वेतन विसंगति समिति द्वारा दिये गये प्रतिवेदन में यह संस्तुति की गयी है कि राज्य सरकार द्वारा वेतन/भत्तों के निर्धारण हेतु केन्द्र सरकार से समता का सिद्धान्त स्वीकार किया गया है किन्तु विभिन्न कार्मिक संवर्गों द्वारा की गयी मांगों के क्रम में विगत वर्षों में राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों ने विभिन्न कार्मिक संवर्गों के मध्य अन्तर्सवर्गीय संतुलन को प्रभावित किया है। अतः अन्तर्सवर्गीय संतुलन को बनाये रखने तथा राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत राज्य में कार्मिकों को दिये जा रहे वेतन / भत्तों के निर्धारण के सम्बन्ध में पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है।
आदेश के मुताबिक, राज्य सरकार के विभिन्न प्रशासकीय विभागों और उनके अधीन स्थापित संस्थाओं के किसी भी संवर्ग में सीधी भर्ती, अनुकम्पा नियुक्ति जैसे किसी भी माध्यम से भविष्य में होने वाली भर्तियों / नियुक्तियों के लिए निर्धारित वेतनमान भारत सरकार में सम्बन्धित संवर्ग के लिए सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अधिसूचित वेतनमान से अधिक नहीं होंगे। इस प्रकार भविष्य में नियुक्त होने वाले कार्मिकों के लिए अग्रेत्तर पदोन्नति के पदों का वेतनमान भी केन्द्र के समान ही होगा। वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों के लिए वेतनमान में किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया है। वेतन विसंगति समिति की संस्तुतियों से उन्हें बाहर रखते हुए उनके वेतनमान व देयकों की पूर्ववत व्यवस्था रखी गई है।
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