आखिर क्यों बोले गृह मंत्री अमित शाह “हमने यह लड़ाई कोर्ट में लड़ी”

Gaurav Sharma
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Amit Shah on Rahul Gandhi : राहुल गांधी सदस्यता निष्कासन मामले में कांग्रेसी पूरे देश में प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो कांग्रेस ने इस प्रदर्शन को लेकर पूरे 1 महीने का ब्लूप्रिंट तक तैयार कर लिया है। अचरज की बात तो यह है कोर्ट के दिए फैसले पर कांग्रेसी मोदी और मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने तो पूरे जुडिशल सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। इन सभी बातों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी मामले में अपनी बात मीडिया के सामने रखी है।

सत्ताधारी पार्टी ने किया सत्ता का दुरपयोग

News 18 चैनल से बात करते हुए अमित शाह ने बताया कि कैसे गुजरात के गृहमंत्री होने के बावजूद उन्हें सत्ताधारी पार्टी द्वारा किए ताकत के दुरुपयोग की वजह से जेल जाना पड़ा। उन्होंने बताया कि कैसे सीबीआई जांच के दौरान अधिकारी सिर्फ उनसे आरोपों में प्रधानमंत्री मोदी का नाम दिलवाना चाहते थे। और कैसे उन्हें बार-बार इस बात के लिए परेशान भी किया गया। करप्शन का केस ना होने के बावजूद एक राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी ने कैसे एसआईटी का गठन किया। और कैसे उन पर फर्जी केस लगाए गए।

कोर्ट ने दी क्लिनचिट 

शाह ने बताया कि इतने सबके बावजूद हमने न तो संसद का घेराव किया और न ही काले कपड़े पहन कर विरोध दर्ज किया। मेरे मामले में हाईकोर्ट ने मात्र 90 दिन में यह कहकर बेल दे दी कि केस करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य ही मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं मोदी जी को भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा क्लीन चिट दे दी गई।

इस सब के बावजूद हमने नहीं किया प्रदर्शन 

सबसे बड़ी बात जो मेरे केस में सामने आई वही यह कि पहले तो मेरे खिलाफ गुजरात से बाहर ले जाकर मुंबई में केस दर्ज कराया गया। और वहां भी कोर्ट के द्वारा यह कहा गया कि यह सभी केस राजनैतिक द्वेष की भावना से दर्ज कराए गए हैं और इसीलिए इन सभी को खारिज किया जाता है। शाह ने कहा कि हमने इन सभी बातों को लेकर कभी प्रदर्शन नहीं किया। आखिर मैं शाह ने बोला इन पर लगाए गए केस उचित केस है हम पर लगाए गए केसों की तरह फर्जी नहीं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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