आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे सर्जरी, केंद्र के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश के एलोपैथिक डॉक्टर

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में एलोपैथिक डॉक्टरों (Allopathic doctors) के साथ आयुर्वेदिक डॉक्टरों (Ayurvedic Doctors) के उपचार (treatment) पर काफी लोग भरोसा (trust) करते हैं। वहीं अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों (Ayurvedic Doctors) को लेकर केंद्र सरकार (central Government) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि आयुर्वेदिक की डिग्री प्राप्त डॉक्टर अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी (General and Orthopedic Surgery) के साथ ही कान, आंख और गले की सर्जरी भी कर सकेंगे। केंद्र सरकार (central government) से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद के अनुसार अब पीजी के स्टूडेंट्स (PG Students) को सर्जरी के बारे में और ज्यादा जानकारी दी जाएगी।

वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश के एलोपैथिक डाक्टरों ने इस निर्णय का विरोध किया है। प्रदेश के चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ देवेन्द्र गोस्वामी ने ट्विटर के जरिए  इस फैसले का विरोध करते हुए लिखा कि #MBBS सभी विधाओं के चिकित्सकों को अपनी ही पैथी का इलाज करना चाहिए।हम चिकित्सा विज्ञान की सभी पैथियों का सम्मान करते हैं,उनकी mixing क्रॉसपैथी को उचित नहीं कह सकते सभी को अपनी पैथी में ही बढ़ावा दिया जाना चाहिए मिक्सिंग करना उचित नही हैं।डॉ देवेन्द्र गोस्वामी प्रदेशाध्यक्ष MPMOA।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।