Diesel supply: लाल सागर में हो रहे हूतियों के बड़े हमलों के चलते अब अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पर इसका बड़ा असर दिखाई दे रहा है। दरअसल यूरोप या अटलांटिक बेसिन की बात की जाए तो इनकी ओर भेजे जाने वाले टैंकरों को हूतियों के आतंक से दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप से होकर गुजरना पड़ रहा है, जिससे लगातार शिपिंग चार्ज बढ़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, अब पश्चिमी देशों ने एशिया में ही माल भेजने का निर्णय लिया है।
भारत से यूरोप डीजल सप्लाई में गिरावट
डीजल की सप्लाई में गिरावट का असर बताते हुए रिपोर्ट के मुताबिक खुलासा हुआ है की, करीब 90% की कमी के चलते जनवरी के औसत डिलीवरी से फरवरी के शुरुआती 2 हफ्तों में भारत से रोज करीब 18 हजार बैरल डीजल यूरोप पहुंचाया गया है।
शिपिंग चार्ज की वृद्धि ने बढ़ाई मुश्किलें
विश्लेषकों के अनुसार, शिपिंग चार्ज में वृद्धि ने माल के परिवहन को कठिन बना दिया है। सुरक्षित रूप से सप्लाई करने के लिए साउथ अफ्रीकी पोर्ट होकर जाने वाले जहाजों को अब दूर भेजना हो रहा है, जिससे लागत पर भारी पड़ रहा है। वहीं जंग के खतरे को देखते हुए इंश्योरेंस चार्ज भी बढ़ गया है।
डेटा में वृद्धि का पता:
एक डेटा के अनुसार, फरवरी में भारत से यूरोप के किसी भी EU देश में डीजल का एक भी शिपमेंट पहुंचा ही नहीं है, जबकि यूरोप में इसमें कोई सप्लाई नहीं हुई है। इसके खिलाफ, भारत से एशियाई देशों में डीजल कार्गो की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जो इस महीने के आखिर तक नीदरलैंड के रॉटरडैम पहुंचेंगे।