द्रौपदी मुर्मू बनी देश की 15वीं राष्ट्रपति, आदिवासी समाज में जश्न, पीएम मोदी ने दी बधाई

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। भारत का 15वां राष्ट्रपति (15th President of India) कौन होगा इसका अंतिम फैसला हो गया है। एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu 15th President of India) ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी अंतर से हराकर जीत हासिल की है। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुँचने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं और आदिवासी समाज से आने वाली पहली महिला राष्ट्रपति है।  उनकी जीत के बाद पूरे देश का आदिवासी समाज जश्न मना रहा है।  उधर भाजपा और उसके सहयोगी संगठन भी द्रौपदी मुर्मू की जीत की ख़ुशी मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के तमाम बड़े नेताओं ने महामहिम बनने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी है।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) की जगह देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसके लिए वोटों की गिनती संसद के उसी कमरा नंबर 63 में सुबह 11 बजे शुरू हुई जहाँ सांसदों ने वोट डाले थे। इसी कमरे को स्ट्रॉन्ग रूम बनाया गया था, यहाँ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। वोटों की गिनती के बाद राज्य सभा के महासचिव पीसी मोदी ने बताया कि वैध वोट 3219 हैं जिकी वोट वेल्यू 8,38,839 है।  इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 2161 वोट मिले जिसकी वोट वेल्यू 5,77,777 रही और यशवंत सिन्हा को 1058 वोट मिले जिसकी वोट वेल्यू 2,61,062 है।

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सबसे पहले संसद भवन में डाले गये वोटों की गिनती की गई उसके बाद राज्यों में डाले गए वोटों की गिनती शुरू हुई। इसके लिए अल्फाबेटिकली राज्यों के नाम से 10 राज्यों की मत पेटियां बारी बारी से निकाली गई। एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का चुना जाना शुरू से ही तय माना जा रहा था उन्हें 27 दलों का समर्थन प्राप्त था उनका पलड़ा शुरू से ही  भारी रहा जबकि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को 14 दलों का समर्थन प्राप्त था।

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द्रोपदी मुर्मू की निश्चित जीत को देखते हुए उनके पैतृक गांव उड़ीसा (ओडिशा) के रायरंगपुर में सुबह से ही जश्न की तैयारियां शुरू हो गई थी, सुबह से ही लड्डू बनना शुरू हो गए हैं। करीब 20 हजार लड्डू तैयार किये गए, उनके गांव के अलावा देश के  सभी आदिवासी समाज में आज ख़ुशी की लहर है। आदिवासी समाज से जुड़े लोक कलाकार दिल्ली में जश्न मना रहे हैं।

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20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के छोटे से गांव में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू संथाल आदिवासी समुदाय  (Draupadi Murmu Santhal Tribal Community) से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडू था, वे किसान थे। द्रौपदी मुर्मू की शुरूआती शिक्षा गांव के स्कूल में हुई, 1969 से 1973 तक आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं, उसके बाद ग्रेजुएशन के लिए भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में एडमिशन ले लिया। द्रौपदी अपने गांव की पहली लड़की थी जो पढ़ने के लिए भुवनेश्वर गई थी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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