सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, वित्त विभाग ने जारी किया ये आदेश, मिलेगा लाभ

इस संशोधन के बाद कर्मचारियों को RGHS पोर्टल पर जाकर अपने माता-पिता या सास-ससुर में से किसी एक को चिकित्सा सुविधा के लिए चुनने का विकल्प मिलेगा।

Pooja Khodani
Published on -
employes news

Rajasthan Employees News: राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य की भजनलाल सरकार ने कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है।इसके तहत राजस्थान गर्वेमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में कर्मचारी अपने माता-पिता के अलावा सास-ससुर को भी शामिल कर सकेंगे। कैबिनेट के फैसले के बाद वित्त विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।

भजनलाल सरकार ने राजस्थान के सरकारी कार्मिकों अपने परिजनों को चिकित्सा उपलब्ध करवाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब सरकारी कार्मिक अपने माता पिता के अलावा सास-ससुर को भी चिकित्सा सेवा का लाभ दिलवा सकते हैं, इसमें शर्ते यह है कि सरकारी कार्मिक इस योजना में या तो अपने माता-पिता या फिर सास-सुसर में से किसी को विकल्प के रूप में चुना जा सकता है। दोनों को एक साथ चिकित्सा सेवा का लाभ योजना के तहत नहीं मिलेगा।।इसका लाभ राज्य के 7 लाख से अधिक सरकारी कार्मिकों को मिलेगा।इससे पहले, सरकारी कर्मचारी केवल अपने माता-पिता को ही RGHS में शामिल कर सकते थे।

अभी इन्हें मिलता है आरजीएचएस योजना में लाभ

राजस्थान के विधायकों, पूर्व विधायकों सहित राज्य सरकार, निकायों, बोर्ड एवं निगमों के कार्मिकों तथा पेंशनरों को इस योजना का लाभ मिलता है। इस योजना में कैशलेस अस्पताल में भर्ती की सुविधा, कैशलेस ओपीडी दवाएं, रेडियोलॉजी जांच जैसी सुविधाएं मिलती हैं।इस फैसले के बाद राज्य के कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा। इस संशोधन के बाद कर्मचारियों को RGHS पोर्टल पर जाकर अपने माता-पिता या सास-ससुर में से किसी एक को चिकित्सा सुविधा के लिए चुनने का विकल्प मिलेगा। इसके लिए, वित्त विभाग ने राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 2013 के नियम 3(9) में संशोधन कर दिया है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, वित्त विभाग ने जारी किया ये आदेश, मिलेगा लाभ सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, वित्त विभाग ने जारी किया ये आदेश, मिलेगा लाभ


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News