ये है भारत की सबसे पुरानी ट्रेन, आज भी है रेलवे की शान, 3 बार बदल चुका है नाम

आज हम आपको भारत की सबसे पुरानी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि 158 साल से पटरी पर दौड़ रही है। आज भी यह रेलवे की शान है। आइए जानते हैं विस्तार से यहां...

Sanjucta Pandit
Published on -

Indian Railways : भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। साथ ही यह देश के विभिन्न राज्यों के कल्चर को भी दर्शाता है। यहां रोजाना लगभग 1300 से अधिक ट्रेनें संचालित की जाती है, जिसमें रोजाना हजारों लाखों की संख्या में लोग सफर करते हैं। किसी खास सीजन में यात्रियों की संख्या में काफी ज्यादा बढ़ोतरी भी देखने को मिलती है। जिस कारण भारतीय रेलवे द्वारा स्पेशल ट्रेन भी संचालित की जाती है, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की कोई दुविधा ना हो। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे ट्रेन के कोच को भी मॉडर्न किया जा रहा है।

सफर के दौरान लोग विभिन्न राज्यों से होकर गुजरते हैं। इस दौरान उन्होंने तरह-तरह के खान-पान, भाषा-शैली, लोग, वेशभूषा, आदि से रूबरू होने का मौका मिलता है, लेकिन कभी क्या आपने यह सोचा है कि भारत की सबसे पुरानी ट्रेन कौन सी है।

भारतीय रेलवे (Indian Railways)

अक्सर ऐसे सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों से पूछा जाता है, लेकिन आम सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इस प्रश्न का जवाब पता होना जरूरी है। आज हम आपको भारत की सबसे पुरानी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि 158 साल से पटरी पर दौड़ रही है। आज भी यह रेलवे की शान है।

सबसे पुरानी ट्रेन (Oldest Train)

दरअसल, भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी ट्रेन कालका मेल है, जो कि 158 साल से पटरी पर दौड़ रही है। यह हावड़ा से चलकर कालका को जाती है। इस ट्रेन का संचालन 1866 में कोलकाता से दिल्ली के बीच किया गया था, लेकिन 1891 में से बढ़कर हरियाणा के पंचकूला में स्थित कालका तक कर दिया गया है। जिन लोगों को शिमला जाना होता है। वह इस ट्रेन से कालका जा सकते हैं, फिर वहां से टॉय ट्रेन के माध्यम से शिमला पहुंच जाता है। ब्रिटिश जमाने में यह सबसे मशहूर ट्रेन थी, जिसे अंग्रेजों ने कोलकाता से शिमला जाने तक के लिए खास तौर पर चलाया था। जिस वक्त यह ट्रेन चलाई गई थी, उस वक्त कोलकाता देश की राजधानी हुआ करता था, लेकिन गर्मी से बचने के लिए उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला को बनाया।

3 बार बदल चुका है नाम

हालांकि, इस ट्रेन का नाम अब तक तीन बार बदला जा चुका है। सबसे पहले इस ट्रेन का नाम ईस्ट इंडिया रेलवे में रखा गया था। फिर इसका नाम बदलकर कालका मेल किया गया। वहीं, साल 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर इस ट्रेन का नाम बदलकर हावड़ा कल का मेल से नेताजी एक्सप्रेस रख दिया गया है, जोकि अपने सफ़र को पूरा करने के लिए 18 घंटे 55 मिनट लेती है। इस दौरान ट्रेन 40 स्टेशनों पर रुकती हुई अपने गंतव्य को पहुंचती है। यदि आप भी स्ट्रेन के रूट पर रहते हैं और शिमला या फिर कोलकाता एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप इस ट्रेन में जरुर सफर कर सकते हैं।


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

Other Latest News