Gandhi Jayanti 2024: आज देश भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है। जहां हर कोई उनके अमूल्य योगदान को याद कर रहा है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
आपको बता दें, इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को नमन किया उन्होंने अपने संदेश में लिखा कि सभी देशवासियों की ओर से पूज्य बापू को उनकी जन्म जयंती पर शत-शत नमन।
महात्मा गांधी का भाषाई ज्ञान और उनकी शिक्षाएं
2 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है जिसका अर्थ है कि स्कूल कॉलेज और कार्यालय बंद रहते हैं, यह दिन
महात्मा गांधी के जीवन और उनके विचारों के सम्मान में समर्पित है। इस दिन लोग गांधी जी की शिक्षाओं और उनके द्वारा फैलाए गए अहिंसा के संदेश को याद करते हैं आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि महात्मा गांधी को हिंदी के अलावा कौन-कौन सी भाषाएं आती थी साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि आप उनके जीवन से क्या-क्या शिक्षाएं ले सकते हैं।
महात्मा गांधी को कितनी भाषाएं आती थी
गांधी जी ने कहा था की भाषाओं की संख्या में किसी को डरना नहीं चाहिए। उनका यह कथन यह दर्शाता है की विविधता में ही एकता है और यही हमारी पहचान है। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि वह हमारी संस्कृति, इतिहास और विचारों का अभिव्यक्ति भी है।
गांधी जी की मातृभाषा गुजराती थी
गांधी जी का जन्म गुजरात में हुआ था और उनकी मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती भाषा न केवल उनके लिए संवाद का साधन थी बल्कि यह उनके संस्कृति और परंपराओं का भी अभिन्न हिस्सा थी। गांधी जी ने अपने जीवन में कई भाषाओं का अध्ययन किया लेकिन गुजराती उनके दिल के बहुत करीब थी।
हिंदी, अंग्रेजी भाषाएँ
गुजराती के अलावा गांधी जी को हिंदी, अंग्रेजी भाषा भी अच्छी तरह से आती थी। उनकी बहुभाषी क्षमता ने उन्हें विभिन्न समुदायों और वर्गों के लोगों से संवाद स्थापित करने में काफी मदद की थी। गुजराती उनकी मातृभाषा थी, जिससे उन्हें अपने विचारों की नींव रखी। हिंदी के प्रति उनका लगाव उन्हें भारत के आमजन से जोड़ता था। जबकि, अंग्रेजी भाषा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता दी।
संस्कृत और उर्दू भाषा
आपको बता दें, गांधी जी ने अपने बचपन के दिनों में स्कूल के दौरान संस्कृत भी सीखी थी। यह भाषा उनके लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और दर्शन का भी अभिन्न हिस्सा है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में मुसलमानों के साथ काम करते हुए गांधी जी ने उर्दू भाषा भी सीखी। यह अनुभव उनके लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि उर्दू ने उन्हें स्थानीय समुदायों से बेहतर तरीके जुड़ने और संवाद करने का अवसर प्रदान किया।
गांधी जी के जीवन से सिख
सत्य और अहिंसा
गांधी जी का जीवन सत्य और अहिंसा पर आधारित था। उनका कहना था कि सत्य से बड़ा कुछ नहीं है। यह वाक्य साधारण लग सकता है, लेकिन इसका गहरा अर्थ है वह मानते थे की सच्चाई के साथ जीने से हमें बुराइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। अहिंसा को उन्होंने केवल एक नीति नहीं बल्कि अपने जीवन का हिसाब बना लिया था।
सेवा ही धर्म है
गांधी जी का जीवन सेवा के सिद्धांत पर आधारित था। उन्होंने कहा सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। वह हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की मदद करते रहे। उनका मानना था कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों ना हो, यह सोच ना केवल हमें बेहतर इंसान बनाती है। बल्कि समाज को भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाती है।
हमेशा बने आत्मनिर्भर
गांधीजी अपने जीवन में हमेशा आत्मनिर्भरता पर जोर देते थे। उन्होंने कहा आपको वह करना होगा जो आपके पास है। इसका मतलब है कि हमें अपनी सीमाओं के भीतर रहकर लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए। स्वदेशी आंदोलन के जरिए उन्होंने लोगों को अपने देश के उत्पादों का उपयोग करने और विदेशी समान से बचने के लिए प्रेरित किया था।