Lok Sabha Elections 2024: क्या पार्टी बदलने से बढ़ जाता है नेताओं का जीत का प्रतिशत? जानिए क्या कहता है दलबदलू नेताओं का दल बदलने का आंकड़ा

Lok Sabha Elections 2024: देश में चुनाव आते ही कई पार्टी के नेताओं को अपनी पार्टी को बदलकर दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ते हुए देखा जाता है। हालांकि कई बार ऐसे दल बदलने वाले नेता जीतते है, तो कई बार हारते है। ऐसे में देश में आगामी लोकसभा चुनाव के पहले यह जानना जरूरी है की जिन नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ी है और दूसरी पार्टी को चुना है उनकी जीतने की उम्मीद कितनी हो जाती है?

Rishabh Namdev
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Lok Sabha Elections 2024: एक बार फिर चुनाव से पहले देश में कई नेता अपने दल को बदलने में लगे है। दरअसल कई दिनों से रोज कोई न कोई नेता चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी को चुनता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल ऐसा न सिर्फ बड़े दलों में है बल्कि छोटे से छोटे दलों के नेता भी पार्टियां बदल रहे हैं। ऐसे में इस सवाल का जवाब जानना जरूरी है कि क्या दूसरी पार्टी को ज्वाइन करने से जीत का प्रतिशत बढ़ जाता है। तो चलिए आज इस सवाल का जवाब हम इस खबर में जानेंगे।

दल बदलने वाले नेताओं का क्या है जीत का औसत?

दरअसल ऐसे में आंकड़ों की बात की जाए तो दलबदलू नेताओं के जीतने का औसत गिर रहा है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो 2004 लोकसभा चुनाव में दल बदलने वाले नेताओं की जीत का प्रतिशत 15% था, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव से दल बदलने वाले नेताओं के जीतने का औसत गिरता हुआ नजर आया है। दरअसल आंकड़े की तरफ देखा जाए तो 2019 में जीत का प्रतिशत घटकर सबसे निचले औसत स्तर 2.4% पर पंहुच गया है। दरअसल औसत के अनुसार 1977 में दल बदलने वाले नेताओं के जीतने का प्रतिशत सबसे ज्यादा था।

यदि इसको और आसान भाषा में समझा जाए तो लोकसभा चुनाव 2019 में तकरीबन 8,000 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत को आजमाया था। जिनमे से 195 नेताओं ने अपना दल-बदलकर चुनाव लड़ा था। यानी करीब 2.4% नेताओं ने अपना दल बदलकर दुसरे दल से चुनाव लड़ा था। लेकिन जब नतीजे आए तो इनमें से मात्र 29 नेताओं को ही जीत मिल सकी थी। आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1980 में सबसे ज्यादा, तकरीबन 377 उम्मीदवारों ने अपना दल बदला था।

चलिए जानते है हाल के दिनों में किन नेताओं ने अपना दल बदला है?

यदि हाल ही के दिनों की बात की जाए तो हरियाणा के हिसार से भाजपा सांसद ब्रिजेंद्र सिंह पाला ने अपना दल बदल लिया है और अब कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। इसके साथ ही गीता कोरा जो की कांग्रेस की सांसद थी अब उन्होंने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है। जिसके बाद अब बीजेपी उन्हें झारखंड के सिंहभूम से चुनाव लड़ाएगी। ऐसे यह देखना जरूरी है की क्या दल बदलने से जीता का प्रतिशत बढ़ता है या नहीं? इसक अलावा भी यदि बात की जाए तो तेलंगाना से बीआरएस सांसद जी रंजीथ रेड्डी पार्टी बदल कर अब कांग्रेस में आ गए है। दरअसल ऐसे कई नेता है जिन्होंने पार्टी बदली है। हालांकि अब देखना होगा की क्या इस चुनाव में दल बदलू नेताओं का जीत का प्रतिशत बढ़ता है या फिर एक बार फिर यह घटता हुआ दिखाई देगा।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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