डीपफेक मामले पर मोदी सरकार हुई सख्त, अश्वनी वैष्णव बोले – अब सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म की नहीं चलेगी मनमानी

Shashank Baranwal
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Ashwini Vaishnaw

Ashwini Vaishnaw on Deep Fake: डीपफेक वीडियोज मामले को लेकर चर्चा तेज हो गई है। जहां शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डीपफेक वीडियोज को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी। वहीं शनिवार को केंद्रीय सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव इस मामले को लेकर संवाददाताओं से बात की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जल्दी ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से चर्चा की जाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उचित द्वारा कदम नहीं उठाया गया तो आईटी एक्ट तहत के लागू होने वाली सेफ हार्बर का क्लॉज लागू नहीं किया जाएगा।

3 से 4 दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ करेंगे बैठक

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डीपफेक मुद्दे को लेकर सरकार की तरफ से नोटिस जारी कर दिया गया था। जिसका प्लेटफार्मों ने जवाब दिया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरफ से कदम उठाया जा रहा है। हालांकि इसको लेकर और भी कदम उठाने चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी प्लेटफार्म की एक बैठक अगले 3 से 4 दिनों में करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके साथ बैठक में इस मुद्दे को लेकर चर्चा करने के साथ इस पर रोक लगाने के लिए उचित प्रयास और पुराने वीडियो को डिलीट करने के लिए बात की जाएगी। वहीं उन्होंने इस बैठक में गूगल और मेटा जैसी कंपनियां शामिल होंने के सवाल पर पॉजिटिव रिस्पॉंस दिया है।

उचित कार्रवाई न करने पर सेफ हार्बर नहीं होगा लागू

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा डीपफेक मुद्दे पर उचित कार्रवाई न करने पर आईटी एक्ट के तहत सेफ हार्बर का क्लॉज नहीं लागू होगा। वहीं डीपफेक का मतलब वीडियो में डिजिटली माध्यम से किसी इंसान के चेहरे या शरीर को बदलने की प्रक्रिया से है। एआई का उपयोग करके किसी इंसान के साथ आसानी से धोखाधड़ी किया जा सकता है।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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