नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। देश में पसरे खतरनाक लंपी वायरस (Lumpy virus) के बीच एक अच्छी खबर आ रही है, बता दें कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Narendra Singh Tomar) ने आज पशुओं को लम्पी स्किन रोग से बचाव हेतु स्वदेशी वैक्सीन (लम्पी- प्रो वैक-इंड/ Lumpi-ProVacInd) लांच की। यह वैक्सीन राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (बरेली) के सहयोग से बनाई गई है।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत यह वैक्सीन विकसित करके एक और नया आयाम स्थापित किया गया है। साथ ही उन्होंने अश्व अनुसंधान केंद्र व पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को भी बधाई दी, जिनके प्रयासों से लम्पी रोग के वैक्सीन को विकसित किया गया है। 2019 में जब से यह बीमारी भारत में आई, तब से ही संस्थान वैक्सीन विकसित करने में जुटे थे।
आगे उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अल्पावधि में, सीमित परीक्षण में सभी मानक स्तर पर शत-प्रतिशत कारगर वैक्सीन विकसित की है, जो लम्पी बीमारी से निजात दिलाने में असरदार साबित होगी। वहीं केंद्रीय मंत्री तोमर ने इस वैक्सीन को लम्पी बीमारी के निदान के लिए मील का पत्थर साबित बताते हुए कहा कि मानव संसाधन के साथ ही पशुधन हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिन्हें बचाना हमारा बड़ा दायित्व है।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि पशुओं को राहत के लिए यह वैक्सीन जल्द से जल्द बड़ी तादाद में मुहैया कराई जाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में तीस करोड़ पशुधन हैं, मूक पशुओं की तकलीफ समझकर उन्हें शीघ्रातिशीघ्र राहत देने के लिए हरसंभव उपाय किए जाना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना से बचाव के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने वैक्सीन विकसित की, जिससे पूरे देश के साथ ही अन्य देशों के लोगों को काफी लाभ हुआ।
अफवाह से बचें – वैज्ञानिक
दूध के बारे में : वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया लम्पी संक्रमित गाय का दूध पीने से बीमार होने संबंधी कोई प्रमाण नहीं है फिर भी दूध को खोला कर ही उपयोग में लें।
बीमारी के बारे में : संक्रमित गायों की देखरेख कर रहे 24 पशुपालकों पर नजर रखी। पशुओं से इंसानों में यह रोग फैलने के प्रमाण नहीं मिले हैं। फिर भी मास्क ग्लब्स का उपयोग करें।