PMO का गहलोत को जवाब लिखा “आपके कार्यालय ने कहा कि आप नहीं कर पाएंगे PM के कार्यक्रम में शिरकत”

Gaurav Sharma
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PMO on Ashok Gehlot Tweet : चुनावी साल हो और बवाल ना हो ऐसा कैसे मुमकिन है, चुनावी साल हो और एक दूसरे पर छींटाकशी न हो ऐसा कैसे मुमकिन है। दूसरे को नीचा दिखाना खुद को बेचारा दिखाना यह खेल विपक्ष और पक्ष के बीच काफी पहले से चला रहा है। इसमें केवल पार्टियों की जगह बदलती है लेकिन ना ही तौर बदलता है ना ही तरीका।

ऐसा ही कुछ आज हमें देखने को मिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे से पहले। जहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट के माध्यम से खुद की स्पीच को पीएम के कार्यक्रम में से हटाने का पीएमओ पर आरोप लगाया था।

गहलोत ने अपने ट्वीट में साफ तौर पर लिखा कि उनका यह 3 मिनट का संबोधन पीएमओ द्वारा हटाया गया है और इसी के चलते वह ट्वीट के माध्यम से अपनी बातें प्रधानमंत्री के सामने रख रहे हैं। इसके बाद गहलोत ने योजनाओं में राजस्थान सरकार द्वारा दिए जा रहे योगदान के बारे में भी जानकारी दी। और साथ ही राज्य सरकार की पांच मांगें ट्वीट के माध्यम से केंद्र सरकार और पीएम मोदी के सामने रखी।

इस ट्वीट के लगभग 3 घंटे बाद पीएमओ ने जवाब दिया और जवाब में अशोक गहलोत द्वारा लगाए गए आरोप का खंडन किया। PMO ने लिखे गए ट्वीट में साफ तौर पर बताया कि उनके 3 मिनट के संबोधन को CMO राजस्थान के द्वारा दी गई जानकारी के बाद हटाया गया है।

पीएमओ ने बताया कि निर्धारित प्रोटोकॉल के हिसाब से आपके संबोधन का स्लॉट तय किया गया था लेकिन आपके कार्यालय द्वारा जानकारी दी गई कि आप कि आप पीएम की सभा में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। आप इससे पहले भी पीएम मोदी की सभी सभाओं में सम्मिलित हो चुके हैं और आज भी शहर में आपका स्वागत है। आपका नाम सभी विकास पट्टिकाओं पर अंकित है। यदि आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो आपकी उपस्थिति गरिमामयी होगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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