Pushpak Landing Test: ‘पुष्पक’ (RLV-री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल) का दूसरा लैंडिंग टेस्ट भी हुआ सफल। दरअसल यह एक ऐसा लॉन्च वाहन है जो दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से भारत को अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने की लागत में काफी कमी आएगी और 2035 में अपने स्पेस स्टेशन पर काम कर रहे भारत को काफी मदद मिलेगी।
Pushpak captured during its autonomous landing📸 pic.twitter.com/zx9JqbeslX
— ISRO (@isro) March 22, 2024
दरअसल ‘पुष्पक’ विमान का यह लैंडिंग टेस्ट भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तकनीक की मदद से भारत को अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने की लागत में कमी आएगी और 2035 में अपने स्पेस स्टेशन पर काम करने में मदद मिलेगी।
जानें इसकी क्या है खासियत:
‘पुष्पक’ रीयूजेबल रॉकेट की खासियत यह है कि इसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसकी लंबाई 6.5 मीटर है और वजन 1.75 टन है। यह सैटलाइट लॉन्च के बाद स्पेस से वापस आ सकता है, जिससे खर्च में कमी आएगी। यह अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक बड़ा अवसर है। ‘पुष्पक’ को स्वदेशी स्पेस शटल भी कहा जाता है, वहीं शुक्रवार को किया गया इसका परीक्षण सफल रहा।
‘पुष्पक’ (RLV-री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल) का दूसरा लैंडिंग टेस्ट भी हुआ सफल। यह एक ऐसा लॉन्च वाहन है जो दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से भारत को अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने की लागत में काफी कमी आएगी और 2035 में अपने स्पेस स्टेशन पर काम कर रहे भारत को काफी मदद मिलेगी।
इस महत्वपूर्ण कदम के बाद, अंतरिक्ष में भारत की प्रवेश में बड़ी राहत मिलेगी। रीयूजेबल रॉकेट होने के कारण, स्पेस एजेंसियां लॉन्चिंग में आने वाले खर्च को कई गुना कम कर सकेंगी, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा लाभ होगा। इससे पहले भी ISRO ने अपने उड़ान-यान ‘चंद्रयान’ के माध्यम से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रवेश किया है। ‘पुष्पक’ के सफल लैंडिंग टेस्ट से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाया गया है।