वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विधायक का निधन, पार्टी में शोक लहर, अध्यक्ष ने जताया दुख

Pooja Khodani
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मुंबई, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) में एक के बाद एक राजनेताओं के निधन की खबरें सामने आ रही है। अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सरदार तारा सिंह (Sardar Tara Singh) का निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उन्होंने मुंबई के अस्पताल लीलावती में अंतिम सांस ली।उनके निधन के बाद पार्टी में शोक लहर दौड़ गई है।

भाजपा नेता पूर्व सांसद किरीट सोमैया (Kirit Somaiya) ने बताया ट्वीट के जरिए सरकार तारा सिंह के निधन की जानकार दी। तारा सिंह मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे।मुंबई के लीलावती अस्पताल में सरकार तारा सिंह का उपचार चल रहा था। वे कई तरह की बीमारियों से ग्रसित थे।मुंबई के भाजपा अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा (Mangal Prabhat Lodha) ने अपने सहयोगी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने भी ट्वीट के जरिए कहा कि- मुंलुंड विधानसभा के पूर्व विधायक और मेरे सहयोगी एवं वरिष्ठ बीजेपी नेता सरदार तारा सिंह के निधन के बारे में सुनहर हैरान हूं। उनके निधन से एक शून्य पैदा हो गया है। वाहेगुरु उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करे और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने करने की शक्ति दे।

2 सितंबर को उडी थी निधन की खबर
इससे पहले दो सितंबर को भी तारा सिंह के निधन की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। महाराष्ट्र बीजेपी के उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने तारा सिंह के निधन की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल से दी थी, हालांकि बाद में सच का पता चलने पर उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।

ऐसा रहा था राजनैतिक सफर

सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुंबई मनपा में नगरसेवक के रूप में की थी। सिंह साल 1984 से 1999 तक मुंबई मनपा के नगरसेवक थे। इसके बाद साल 1999 से 2019 तक लगातार चार बार विधानसभा में मुलुंड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।वे राज्य में भाजपा सरकार के समय सिंह नांदेड़ के तख्त सचखंड श्री हजूर अबचल नगर साहिब गुरुद्वारा के अध्यक्ष थे। हालांकि बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कहने पर सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ज्यादा आयु के चलते सिंह को टिकट नहीं दिया था।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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