नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पंजाब की राजनीति में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने आज अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह दुनिया में सिखों की सबसे प्रभावपूर्ण और देश के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में एक है। आज वह अपने अस्तित्व का शताब्दी स्थापना समारोह मना रहा है। ये ऐतिहासिक वर्षगांठ ऐसे समय आई है जब पार्टी, पंजाब की राजनीति में स्वयं को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए जूझ रही है। पिछले एक वर्ष से चले किसान आंदोलन के दौरान, पार्टी के मूल समर्थकों का विश्वास डगमगाया है।
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हम आपको बता दें कि ऐतिहासिक गुरुद्वारों को महंतों के कब्जे से आजाद करवाने के उदेश्य से 14 दिसबंर, 1920 को गठित इस पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे। इसके सामने अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) कांग्रेस सरकार पर हमला करते हैं और कांग्रेस अपना बचाव करते दिखती है। बीच-बीच में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ही पार्टी की सरकार पर शब्दबाण चलाते हैं।

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ज्ञातव्य हैं कि वर्ष 1920 से लेकर 1996 तक इसे पंथक हितों के लिए लडने वाली पार्टी ही माना जाता रहा। वर्ष 1996 में मोगा कांफ्रेंस के बाद पार्टी ने सैद्धांतिक तौर पर बड़ा बदलाव करते हुए स्वयं को पंथक पार्टी से सेकुलर पार्टी के रूप में बदल लिया। अकाली दल नेशनल डेमोक्रेटिक एलांयस (एनडीए) का हिस्सा था और साल 2014 से 2020 तक केंद्र की सरकार में शामिल रहा। पार्टी के सांसद, केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम मंत्रालयों में रहे।
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पिछले साल मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए जब तीन कृषि कानून संसद से पास किए, तो पंजाब के किसान सड़कों पर आ गए। उस सियासी भूचाल ने अकाली दल को, एनडीए से नाता तोड़ने पर मजबूर कर दिया। लेकिन जब तक शिरोमणि अकाली दल, केंद्र सरकार से अलग होता, किसान उसे सरकार का हिस्सा मान कठघरे में खड़ा कर रहे थे।