Holi Destinations : रंगों का त्योहार दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और सभी से कह रहा है कि आओ और त्योहार के रंग में रंग जाओ। 8 मार्च यानी होली का दिन बेहद ही खास दिन है, इस दिन हर इंसान अपने रंजो–ओ–गम भूल कर रंगों की दुनिया में खो जाता है।
भारत में लोग अक्सर अपने घरों पर ही इस त्यौहार को मनाना पसंद करते हैं, क्योंकि घर पर रहकर वह न केवल स्वादिष्ट व्यंजनों और पकवानों का मजा ले सकते हैं बल्कि अपनों के साथ मिलकर होली भी खेल सकते हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो घर और परिवार से दूर रहकर इस त्योहार को मनाते हैं। उन लोगों के लिए होली मात्र एक छुट्टी का दिन बन कर रह जाती है। ऐसे ही लोगों के लिए हम बताने जा रहे हैं भारत की पांच मशहूर जगह , जहां पर लोग न केवल जी भर होली खेल सकते हैं बल्कि जी भर पकवानों का मजा भी ले सकते हैं।
मथुरा
हाथी घोड़ा पालकी–जय कन्हैया लाल की, कान्हा की जन्मभूमि मथुरा में होली का त्यौहार बड़े ही जोश के साथ मनाया जाता है। मथुरा भर में सुबह से ही लोग सड़कों पर घूम घूम कर भजन गाने लगते हैं और गुलाल के साथ होली खेलने लगते हैं। इस दिन द्वारकाधीश मंदिर से विश्राम घाट तक होली खेलते हुए लोगों का जमघट लगा देखा जाता है।
वृंदावन
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में लोग न केवल गुलाल के साथ बल्कि फूलों के साथ होली खेलते हैं। जमुना नदी के किनारे बसे इस शहर में दूरदराज से लोग आकर होली के त्यौहार का आनंद लेते हैं।
बरसाना
राधे राधे राधे बरसाने वाली राधे, ऐसे ही गीतों पर झूमते हुए बरसाने के लोग होली के त्यौहार का आनंद लेते हैं। हाथों में लट्ठ लिए औरतें और सिर पर पट्टा लिए आदमी लट्ठमार होली खेलते हुए बरसाने की गलियों में देखे जा सकते हैं। इस शहर में लठमार होली के अलावा लड्डू होली भी खेली जाती है। इसके बाद यह लड्डू यहां आए लोगों में बांट दिए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण नंद गांव से बरसाना राधा मैया से मिलने आए थे।
पुष्कर
राजस्थान का पुष्कर जहां भगवान ब्रह्मा का पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर स्थापित है अपनी होली के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां न केवल भारत के लोग बल्कि विदेशी भी पूरे तन और मन के साथ होली के त्यौहार का आनंद लेते हैं।
पुरुलिया
अगर आप से कहा जाए कि मथुरा जैसा होली का आनंद आप पश्चिम बंगाल में भी ले सकते हैं तो शायद आप इसे सच नहीं मानेंगे। लेकिन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बड़े ही धूमधाम के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है। खास बात यह है कि यहां होली का त्यौहार तारीख से 3 दिन पहले मनाया जाता है। यहां इसे ‘डोल’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन यहां के लोग पारंपरिक छाऊ और नटुआ नृत्य करते हैं।
शांतिनिकेतन
बंगाल के शांति निकेतन में होली का त्यौहार बड़े ही जोरों शोरों से मनाया जाता है। यहां पर इसे ‘बसंत उत्सव’ कहा जाता है। यहां के लोग इस त्यौहार को बड़े ही पारंपरिक तरीके से मनाते हैं। यह त्यौहार को इस तरीके से मानने की शुरुआत सबसे पहले राष्ट्रगान रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन के रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी में की थी।