नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। ‘बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी…. ये कविता हम सभी ने बचपन में जरूर पढ़ी होगी। आज इस कविता की लेखिका (Poet and writer) और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का 117वां जन्मदिन है। आज इस कविता की रचयिता और भारत की महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान को गूगल (Google) ने अपना डूडल (Doodle) बनाकर श्रद्धांजलि दी है। इस डूडल में एक महिला को साड़ी में कागज़ और कलम के साथ बैठीं सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया है। इस डूडल को न्यूज़ीलैंड (New Zealand) की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने डिजाइन किया है।
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सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निहलपुर गांव में हुआ था। बचपन से ही सुभद्रा कुमारी चौहान को लिखने का शौक था। सुभद्रा की पहली कविता सिर्फ नौ साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए ‘बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी’ इस कविता की पंक्तियां अनेकों बार पढ़ी गयीं हैं। कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की लिखी इस कविता में देश की उस वीरांगना के लिए जोश, करूण, स्मृति थी और श्रद्धा का भाव था। इसी एक कविता से उन्हें हिंदी कविता में प्रसिद्धि मिली और वह साहित्य में अमर हो गयीं।
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भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविताओं से लोगों में जोश भरने का काम किया। सुभद्रा कुमारी चौहान की देशभक्ति से भरे कविताओं को सुनकर सैकड़ों लोग देश की संप्रभुता की लड़ाई में आगे आए थे। उनके द्वारा लिखे गए काव्य सिर्फ़ कागज़ी नहीं थे। जिस जज़्बे को उन्होंने कागज़ पर उतारा उसे उन्होंने जिया भी। इसका प्रमाण है कि सुभद्रा कुमारी चौहान महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला थीं और इसके चलते कई बार जेल भी गयीं।