भारत में घूमने फिरने की कोई कमी नहीं है। यहां अमूमन सभी राज्य में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक किले हैं। सभी का अपना अलग-अलग इतिहास रहा है। इन किलो पर राजा, महाराजाओं सहित मुगल शासको ने शासन किया है। हालांकि, अब इन किलो को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, जिससे सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को आर्थिक रूप से भी मजबूती मिलती है।
आज हम आपको एक ऐसे किला से रूबरू करवाएंगे, जिसे इतिहास में कभी कोई जीत नहीं पाया। अंग्रेजों ने भी इस किले के सामने हार मान ली थी। हालांकि, इस पर हमला बहुत बार किया गया लेकिन सफलता एक बार भी नहीं मिली।

लोहागढ़ किला (Lohagarh Fort)
दरअसल, भारत का एकमात्र किला है। जिसके अंदर कोई भी दुश्मन पहुंच नहीं पाया था। इस किले का नाम लोहागढ़ किला है, जिसे लौहगढ़ किला के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा, लोग इसे अजेय दुर्ग के नाम से भी जानते हैं। जिसका निर्माण महाराजा सूरजमल ने करवाया था, जिसे साल 1733 में बनाया गया था। इसे पूरा बनाकर तैयार करने में 8 साल लगे थे, जिसका इतिहास बहुत ही रोचक रहा है।
दुश्मनों ने 13 बार किया हमला
इसके किले पर दुश्मनों ने 13 बार हमला किया, लेकिन इस पर जीत हासिल नहीं कर पाए। जिस कारण इसे अजेय किला के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए के चारों ओर 100 फुट चौड़ी और 60 फीट गहरी खाई है। युद्ध के समय मोती झील और सुजान गंगा नहर का पानी इसमें भरवा दिया जाता था। साथ ही मगरमच्छ इसमें छोड़ दिए जाते थे। वहीं, जब कोई किले पर आक्रमण करता था, तो मगरमच्छ को खाना देना बंद कर दिया जाता था। जैसे ही दुश्मन खाई में उतारने का प्रयास करते थे, वैसे ही मगरमच्छ उन्हें अपना भोजन बना लेते थे।
अंदर बने हैं कई सारे महल
इसके अलावा, दीवारों के चारों ओर सैकड़ो फुट चौड़ी कच्ची मिट्टी की दीवार बनाई गई थी। जिसे दुश्मनों द्वारा दागी गई बारूद और गोली बेअसर रहते थे। किले का इतिहास जितना मजेदार और अनोखा है उतना ही यह सुंदर और आकर्षक भी है। इसके अंदर कई सारे महल और मंदिर बने हुए हैं। किले में किशोरी महल, हंसारानी महल, कचहरी कला, चमन बगीची, हम्माम, मथुरा द्वार, बिनारैन गेट, अटल बंध गेट, अनह गेट, कुम्हेर गेट, नीमदा गेट और चंदपोल गेट हैं। यदि आपको कभी यहां जाने का मौका मिले, तो आप जरूर यहां जाएं और इसके लिए को नजदीक से देखें।