इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। भटक कर पाकिस्तान पहुँची गीता जब वापस अपने मुल्क भारत आई थी तो हजारों हाथों ने उसके लिए दुआ मांगी थी की जल्द ही उसे उसके माँ बाप मिल जाए, लेकिन अभी भी तलाश का यह सफ़र जारी है, मूक-बधिर गीता के माता-पिता की तलाश के कई प्रयासों के बाद परभणी (महाराष्ट्र) की मीना वाघमारे ने उस पर अपनी बेटी होने का दावा किया है। इस दावे को पुख्ता करने के लिए दोनों का डीएनए टेस्ट होना है, लेकिन उसके लिए भारत सरकार की अनुमति मिलनी अभी बाकी है। वही करीबन छह माह से गीता परभणी में मूक-बधिरों के लिए काम करने वाली पहल फाउंडेशन संस्था के संरक्षण में रह रही है। इस बीच गीता ने कंप्यूटर सीखा और अंग्रेजी लिखना भी सीख लिया है। गीता को भारत आए करीब छह साल हो चुके हैं।
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पाकिस्तान से भारत आई गीता के माँ बाप को तलाशने की कवायद जारी है। ऐसे में गीता ने भी उम्मीद नही छोड़ी है।गीता इन दिनों अंग्रेजी और कंप्यूटर सीखने में अपना समय गुजार रही है। वही अभी भारत सरकार द्वारा डीएनए मिलान की अनुमति फिलहाल नहीं मिल पाने के कारण वह पहल संस्था के आश्रय गृह में ही है। गीता पर बेटी होने का दावा करने वाली मीना वाघमारे और उनकी बेटी पूजा गीता से मिलने इस आश्रय गृह में आती रहती हैं। गीता मूक-बधिर बच्चों की शिक्षक या केयरटेकर बनना चाहती है। ऐसे में अब गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। गौरतलब है कि भटक कर पाकिस्तान पहुंची गीता को पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज की पहल से भारत लाया गया था। वह इंदौर के मूक-बधिर संगठन के छात्रावास में रही। इसके बाद आनंद मूक-बधिर संस्था के संरक्षण में रही। इस दौरान गीता के विवाह की भी कोशिश की गई।