जब दहेज में अटल बिहारी वाजपेयी ने मांगा पाकिस्तान, नेहरू भी हुए बातों के कायल, यहां जानें अनसुने किस्से

Diksha Bhanupriy
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Atal Bihari Vajpayee

Atal Bihari Vajpayee: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है और इस मौके पर हर कोई उन्हें याद करता दिखाई दे रहा है। वह एक ऐसी शख्सियत थे जो अपनी वाकपटुता से हमेशा ही लोगों को हैरान कर दिया करते थे। उनके पास सभी सवालों का तार्किक रूप से जवाब देने की अद्भुत शैली थी जो लोगों को आकर्षित किया करती थी। ऐसा कहा जाता है कि जब वह बोलते थे तो विरोधी भी उनके कायल हो जाया करते थे।

5 दशक तक अटल भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरे के तौर पर पहचाने जाते रहे। साल 2004 में उन्होंने अपना आखिरी चुनाव लड़ा और 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया। उन्होंने तीन बार भारत का प्रधानमंत्री पद संभाला। साल 2018 में वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए लेकिन उनकी मजबूत शख्सियत आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। आज उनकी जयंती के मौके पर चलिए उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से आपको बताते हैं।

खुद को बताया बिहारी

साल 2004 में खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मंच से यह कहा कि “मैं अटल होने के साथ बिहारी भी हूं।” उनकी इस बात ने लोगों को बहुत प्रभावित किया और सभा स्थल पर खूब तालियां बजी। अपने इस वाक्य से उन्होंने अपने नाम के साथ लगने वाले बिहारी शब्द का भलीभांति परिचय दिया।

नेहरू भी थे कायल

अटल बिहारी वाजपेयी जब भी बोलते थे तो सुनने वाले हैरान हो जाया करते थे। अगर कोई विरोधी भी उनकी बातें सुनता था तो वह सारी बातें भूल जाया करता था। ऐसा ही एक किस्सा जवाहरलाल नेहरू से भी जुड़ा हुआ है। उस समय पंडित नेहरू ने जनसंघ की आलोचना कर दी थी। उनकी बातों को सुनकर अटल ने कहा था कि “मुझे पता है पंडित जी शीर्षासन करते हैं, वह करें मुझे कोई समस्या नहीं है लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर को उल्टा ना देखें।” उनकी यह बात सुनकर खुद नेहरू को भी हंसी आ गई थी।

दहेज में पाकिस्तान

अटल बिहारी वाजपेयी का एक किस्सा काफी मशहूर है, जो 1999 का है। इस समय उन्होंने भारत से पाकिस्तान के लिए बस सेवा शुरू की थी और शुभारंभ के समय वह खुद बस में बैठकर लाहौर गए थे। यहां पर उनका जोरदार स्वागत हुआ और उसके बाद जब पत्रकारों ने सवाल जवाब किया तो एक महिला पत्रकार ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए उनसे यह कहा कि हम आपसे शादी करने के लिए तैयार है लेकिन हमारी यह शर्त है कि आप हमें मुंह दिखाई में कश्मीर देंगे। महिला पत्रकार की यह बात सुनने के बाद हाजिर जवाब अटल जी ने कहा कि “मैं शादी के लिए तैयार हूं लेकिन मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए।” उनका यह जवाब सुनने के बाद वहां मौजूद हर व्यक्ति हैरान रह गया था।

आदर्श पत्नी की तलाश

ऐसे ही एक बार एक महिला पत्रकार ने अटल जी से सवाल करते हुए कहा कि आप अब तक कुंवारे क्यों हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वह आदर्श पत्नी की खोज कर रहे हैं। पत्रकार ने फिर पूछा कि क्या वह मिली नहीं? इस पर चुटकी लेते हुए अटल जी ने कहा मिली थी लेकिन वह भी आदर्श पति ढूंढ रही थी।

चर्चा में रही प्रेम कहानी

अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नहीं की थी लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि जब वह प्रधानमंत्री थे तो प्रधानमंत्री आवास में उनके साथ मिसेज कौल रहा करती थी। वह यहां पर पत्नी के दर्जे से नहीं रहती थी ऐसा कहा जाता था कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। इन दोनों के इस रिश्ते के बारे में कभी कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई और ना ही इसे कोई नाम दिया गया। 1978 में एक पत्रकार में अटल जी से सवाल करते हुए मिसेज कौल के बारे में पूछा था। थोड़ी शांति के बाद सवाल का जवाब देते हुए अटल बिहारी ने कहा कि समझ लीजिए कश्मीर जैसा मसला है।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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