जिले के डैम पर लोग मौत को दावत देते हुए स्टंट करते नजर आ रहे है, वहीं मामला सामने आने के बाद जल संसाधन विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहा है । बैतूल का सापना डैम पानी से लबालब है और यंहा ओवरफ्लो का नजारा देखने के लिए लोग पंहुचने लगे है । रविवार को तो हद ही गई जब ओवरफ्लो देखने पहुंचे कुछ युवक जलाशय के वेस्टवेयर तक पहुंच गए और जान जोखिम में डालकर वेस्टवेयर के ऊपर चढ़ गए और यंहा से कूदकर नहाने लगे।
इतना ही नहीं यंहा दीवार पर चढ़कर स्टंट करते नजर आए , इन्हें रोकने टोकने वाला कोई भी नहीं था । ऐसे में यह स्टंट बहुत खतरनाक हो सकता है, जहां वेस्टवेयर की दीवार बहुत चिकनी होने फिसलन होती है, जो जानलेवा भी हो सकती है । दूसरी तरफ अगर डैम के पानी का स्तर बड़ जाए तो तेज़ बहाव के साथ ओवरफ्लो भी हो सकता है जो बहुत ही खतरनाक हो सकता है ।
हालांकि जल संसाधन विभाग ने पता लगा कर लोगों को चेतावनी भी दी है, लेकिन इस सूचना का कोई असर नहीं हो रहा है । जलाशय लबालब हो गए है और जलाशय पर निगरानी के लिए जल संसाधन विभाग की ओर से किसी कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगाई गई , जिसकी बानगी सापना जलाशय पर देखा गया डैम भरा जाने के बाद डैम की दीवार की निगरानी की जाती है। लेकिन यंहा तो भगवान भरोसे डैम को छोड़ दिया गया है, शायद इसी वजह से युवक जलाशय के वेस्टवेयर पर चढ़ गए और वहां नहाने लगे और कुछ लोग तो ओवरफ्लो का पानी जहां गिरता है, वहां नहा रहे थे, जो कि बहुत खतरनाक साबित हो सकता था ।
इसको लेकर जल संसाधन विभाग एसडीओ संत कुमार का कहना है कि जानकारी मिली है कि लोग सापना डैम पर वेस्टवेयर पर नहाने के दौरान स्टंट करते हैं, इसको लेकर प्राथमिक कार्रवाई की जा रही है। हमारे कर्मचारी ने इन लोगों को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन वो नहीं माने, ऐसे लोगों के खिलाफ विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा ।
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।