जयपुर में बिजली व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए प्रबंधन ने लाखों रुपये खर्च कर साइट वैरिफिकेशन ऐप तैयार करवाया था। इसका उद्देश्य बिजली कनेक्शन, पोल शिफ्टिंग और अन्य कार्यों के लिए त्वरित सत्यापन सुनिश्चित करना था। लेकिन हकीकत यह है कि शहर के 53 कनिष्ठ अभियंता अब भी ऑफलाइन पद्धति पर काम कर रहे हैं। इसके चलते उपभोक्ताओं को अपने कार्यों के लिए महीनों इंतजार करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर के 18 सर्कल में 62 जेईएन ऐप का उपयोग नहीं कर रहे, जिनमें से अधिकतर जयपुर शहर में तैनात हैं।
सीनियर इंजीनियरों ने जताई चिंता, वित्तीय अनियमितता की आशंका
विद्युत भवन में वरिष्ठ इंजीनियरों का कहना है कि यह ऐप उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए बेहद कारगर है। यदि कनिष्ठ अभियंता इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं तो इससे वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा मिल सकता है। ऐप के माध्यम से साइट वैरिफिकेशन की रिपोर्ट सीधे उच्च अधिकारियों तक पहुंचती है और मंजूरी प्रक्रिया तुरंत पूरी हो जाती है। वहीं, ऑफलाइन पद्धति अपनाने पर रिपोर्ट तैयार होने में महीनों लग जाते हैं, जिससे कार्यों में देरी होती है।
ऑफलाइन रिपोर्टिंग से बढ़ रही उपभोक्ताओं की परेशानी
ऐप का उद्देश्य था कि बिजली कनेक्शन और पोल शिफ्टिंग जैसे कार्य चंद मिनटों में सत्यापित होकर मंजूरी के लिए भेजे जा सकें। लेकिन जेईएन के ऑफलाइन कार्य करने से उपभोक्ताओं को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कई मामलों में नए कनेक्शन की प्रक्रिया हफ्तों तक अटक जाती है। इससे न केवल आम नागरिक बल्कि औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ता भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रबंधन ने अधिशासी अभियंताओं से जवाब मांगा, लेकिन किसी ने भी स्पष्ट रिपोर्ट नहीं दी।
जयपुर में सबसे खराब स्थिति, सख्त कार्रवाई की तैयारी
ऐप यूज करने वाले कनिष्ठ अभियंताओं की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जयपुर की स्थिति सबसे खराब है। यहां 53 अभियंता डिजिटल पद्धति को नजरअंदाज कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो लापरवाह अभियंताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उपभोक्ताओं का कहना है कि जब तकनीक मौजूद है तो उसका सही उपयोग होना चाहिए ताकि उन्हें समय पर सुविधा मिल सके और कार्यों में अनावश्यक देरी न हो।





