Ahoi Ashtami Vrat 2023: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं रखती है। सनातन धर्म में इस व्रत का बेहद ही खास महत्व होता है। मान्यताएं हैं कि यह व्रत रखने से संतान को दीर्घायु का वरदान मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। माता अहोई मां पार्वती के ही एक स्वरूप को कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है। 5 नवंबर को रवि पुष्प योग और सवार्थ सिद्ध समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा संयोग वर्षों बाद बन रहा है।
व्रत के नियम
- अहोई अष्टमी के दिन यदि आप व्रत रख रही हैं तो काले या नीले रंग के वस्त्र बिल्कुल भी न पहने।
- इस दिन मिट्टी से संबंधित कोई भी काम नहीं करना चाहिए।
- लड़ाई-झगड़ों से दूर रहें। वाद-विवाद भी ना करें। घर-परिवार में शांति बनी हो इस बात का खास ख्याल रखें।
- इस दिन किसी प्रकार की नुकीली चीज को न छुए। सिलाई का काम ना करें।
- अहोई अष्टमी के दिन परिवार में सात्विक भोजन बनना चाहिए। इस दिन लहसुन और प्याज का इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता।
- इस दिन सोना भी उचित नहीं माना जाता। व्रत का पारण करने से पहले नहीं सोना चाहिए।
कब और कैसे करें पूजा
पूजा का शुभ मुहूर्त आज शाम 5:30 बजे से लेकर 6:52 बजे तक रहेगा। यानी 1 घंटे 19 मिनट तक पूजा करना शुभ माना जाएगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:43 बजे से लेकर 12:26 बजे तक है। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लें। माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करें। गेरू से दीवार पर साही और उनके साथ पुत्रों की तस्वीर बनाएं। माता के सामने मौली, चावल की कटोरी, सिंघाड़ा इत्यादि सामग्री को रखें। अहोई अष्टमी व्रत कथा जरूर सुने। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी रखें और उसके ऊपर करवे में भी पानी डालें। ध्यान रखें की इस करवा को करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो। शाम में इन तस्वीरों की पूजा करें। लोट के पानी और चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें। इस दिन चांदी से स्याहु बनाना शुभ माना जाता है। साथ ही इसकी पूजा भी की जाती है।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो मान्यताओं पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता।)