Astrology, Rajyog 2023, NeechBhang Rajyog : योग का जातकों के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में किसी ज्यादा की कुंडली में दो या दो से ग्रह एक ही राशि में विराजमान हो तो उसे ग्रह की युति कहा जाता है। ग्रहों की युति से कई महत्वपूर्ण और लाभदायक योग का निर्माण होता है।
मंगल को पुरुष और क्रूर ग्रह माना जाता है। इसकी उच्च राशि मकर और नीच राशि कर्क होती है। वही यह वृश्चिक राशि का स्वामी होता है जबकि चंद्रमा को स्त्री स्वभाव का कारक माना जाता है। कर्क राशि का स्वामी होने के साथ ही चंद्रमा वृषभ में उच्च राशि के और वृश्चिक में नीच के होते हैं। ऐसे में जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक ही घर में विराजमान होते हैं । तब चंद्र मंगल योग का निर्माण होता है। वर्तमान में चंद्र मंगल योग का लाभ जातकों को मिल रहा है।
चंद्र मंगल योग के शुभ और अशुभ दोनों ही परिणाम होते हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि जातक का जन्म में तुला राशि और मीन सहित मकर लग्न या राशि में हुआ है तो ऐसे जातकों को चंद्र मंगल योग का लाभ मिलता है।
चंद्र मंगल योग का निर्माण
किसी जाता की कुंडली में पांचवें घर में इस योग के बनने से जातक को समृद्धि, कला, धन और प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त होता है। वही दसवें घर में चंद्र मंगल योग बनने से व्यावसायिक सफलता सहित नौकरी पेशा में पदोन्नति इंक्रीमेंट का लाभ मिलता है।
दूसरी ओर जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल दोनों अशुभ स्थिति में हो, तब इस ग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसे में आज ही बनने वाले चंद्र मंगल योग का लाभ मेष, कर्क तुला वृश्चिक मकर सहित मीन लग्न या राशि वाले को होना निश्चित है।
दामिनी राजयोग
इसके अलावा जन्माष्टमी का त्योहार दामिनी योग में भी मनाया जा रहा है संख्या नभस योग की श्रृंखला में दूसरा योग दामिनी राजयोग कहलाता है। दामिनी राजयोग का निर्माण कब होता है जब कुंडली के 6 ग्रहण में सभी 7 ग्रह मौजूद रहते हैं।
कुंडली में दामिनी राजयोग का निर्माण होने पर जातक को समझ में सम्मान प्राप्त होता है उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति बुद्धिमान होता है। धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। धनवान होने के साथ ही धार्मिक और परोपकारी स्वभाव के होते हैं। धार्मिक कार्यों के लिए उत्साहित रहने के साथ ही समाज में लोकप्रियता हासिल करते हैं।
नीच भंग राजयोग का भी लाभ
ज्योतिष के अनुसार जातकों को नीच भंग राजयोग का भी लाभ मिलेगा। कुंडली में उच्च राशि के गृह मूल त्रिकोण राशि खुद की राशि मित्र राशि शत्रु राशि और नीच राशि में उपस्थित होता है। ऐसे में उच्च राशि के ग्रह होने पर शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं जबकि नीच राशि का बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में कोई नीच ग्रह इस तरह बैठा हो कि उसकी नीचे की अवस्था उच्च राशि के सामने समाप्त हो जाए तो ऐसे में नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
नीच भंग राजयोग का निर्माण
- यदि किसी कुंडली में एक उच्च ग्रह के साथ एक नीच ग्रह बैठा हो तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
- कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा और उसे राशि का स्वामी लग्न भाव या चंद्रमा से केंद्र स्थान में हो तो कुंडली में नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
- इसके अलावा कुंडली में कोई ग्रह अपनी नीच राशि में और उसे राशि में उच्च होने वाले ग्रह चंद्रमा के साथ केंद्र में स्थित हो, तब भी नीचभंग राजयोग का निर्माण होता है।
- यदि किसी कुंडली में नीचे का ग्रह वक्री हो तब नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है।
नीचभंग राजयोग का लाभ
- चंद्रमा की वजह से नीच भंग योग का निर्माण होने पर जातक भावुक होते हैं और जल्द ही किसी पर भरोसा करते हैं।
- मंगल की वजह से नीच भंग योग का निर्माण होने पर जातक उग्र स्वभाव के होते हैं और गलत कार्यों में हासिल होते हैं। हालांकि उन्हें सरकारी नौकरी और प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है।
- कुंडली में शुक्र की वजह से इस राजयोग का निर्माण होने पर प्रसिद्ध और पैसा मिलता है। इसके साथ ही अहंकार में भी वृद्धि होती है। हल्की जातक उच्च कोटि के व्यवसायी बनते हैं।
- कुंडली में गुरु की वजह से इस राजयोग का निर्माण होने पर बुद्धि ज्ञान में वृद्धि होती है। कार्य कुशलता में वृद्धि होने के साथ ही जातक व्यावहारिक स्वभाव के होते हैं।
- कुंडली में सूर्य की वजह से नीच भंग योग का निर्माण होता है तो उसे लाभ प्राप्त होता है। वरिष्ठ लोगों के सहयोग से सफलता हासिल होती है।
(Disclaimer: यह आलेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह और जानकारी के लिए अपने ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।)