Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य प्रमुख भारतीय गुरु, राजनीतिज्ञ और धर्मशास्त्रकार थे, जिनका समय लगभग 370-283 ईसा पूर्व के आस-पास माना जाता है। वे भारतीय सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे और उन्होंने चन्द्रगुप्त के साथ मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने में मदद की थी। आचार्य चाणक्य की एक प्रमुख रचना “अर्थशास्त्र” और “चाणक्य नीति” है। इसमें राजनीति, वित्त सम्बंधित उपदेश दिया गया है। आचार्य चाणक्य के नीति ग्रंथ का महत्व आज भी मान्यता प्राप्त है। आज भी उनके उपदेशों को सामाजिक और नैतिक मूल्यों के साथ जीवन में लागू किया जाता है।
इसी क्रम में आज हम आपको चाणक्य नीति में बताएं गए कुछ बातों को आपसे साझा करेंगे, जो आपको कोई भी निर्णय लेने में कठिनाई नहीं होगी और आप आसानी से कोई भी बड़ी चुनौती को पार कर सकते हैं। आइए जानें विस्तार से…
क्रोध पर नियंत्रण
क्रोध एक बुरी भावना होती है जो कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में नुकसान पहुंचाता है। क्रोध दूसरों के साथ संघर्ष को बढ़ा सकता है।
क्रोध को नियंत्रित करने का प्रयास करना महत्वपूर्ण होता है, ताकि कोई भी निर्णय लेने में गलती ना हो और आप खुशहाल जीवन बिता सके।
इंद्रियों पर नियंत्रण
सुख का आधार धर्म होता है और धर्म का आधार अर्थ यानी धन होता है, अर्थ का आधार राज्य होता है और राज्य का आधार अपनी इंद्रियों पर विजय पाना होता है। इसका मुख्य संदेश है कि सुख प्राप्ति के लिए सही और न्यायपूर्ण कार्यों का पालन करना चाहिए। जिसके लिए आपको धन और संपदा को उच्चतम लक्ष्य के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें अपने इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि हम अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों के साथ जीवन जी सके।
झूठ बोलने से बचें
झूठ बोलने से व्यक्ति के चरित्र, मान-सम्मान और विश्वास पर कई प्रकार के प्रभाव पड़ सकते हैं। यह न केवल दूसरों के साथ विश्वास कम कर सकता है, बल्कि व्यक्ति के अपने आप पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए सच्चाई और ईमानदारी से जीवनयापन करें ताकि कोई भी विषम परिस्थिति को आसानी से पार किया जा सके।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)