Rahu Astrology : अपने राहु और केतु का नाम मायावी ग्रह के नाम से सुना होगा, उनके किसी राशि में गोचर करते ही जातकों के जीवन में तबाही भरे मंजर देखने को मिलते हैं। इन्हें पापी और छाया ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। यदि उनकी अच्छी दृष्टि किसी राशि के जातकों पर पड़ गई तो रातों-रात यह आपको मालामाल भी कर सकते हैं, तो वहीं अगर किसी राशि के जातकों की कोई चीज इन्हें बुरी लग गई, तो यह राजा को रंक भी बना सकते हैं।
राहु न्याय के देवता शनि के बाद सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह है। राहु का नाम सुनते ही लोगों के सर पर पसीना आ जाता है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कब इनका मन बदल जाए और किस राशि के जातकों को इसका परिणाम भुगतना पड़ जाए।
किससे डरता है राहु (Rahu)
हर कोई इनका नाम सुनते हैं कांप जाता है, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती कि इन्हें गलती से भी दुखी या नाराज किया जाए। राहु की महादशा 18 साल तक चलती है। इसके लिए भक्त तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ब्रह्माण्ड में एक देवता भी हैं, जिनके नाम से ही राहु डर जाता है।
पौराणिक कथा (Rahu Mythology)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु से हर कोई डरता है, लेकिन यदि राहु किसी से डरते हैं, तो वह भगवान शिव हैं, जो सभी नवग्रहों के स्वामी माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी की कुंडली में राहु की स्थिति खराब है, तो भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके राहु के बुरे प्रभाव को शांत किया जा सकता है। दरअसल, राहु महादेव के रौद्र रूप से डरता है। इसलिए यदि जातक शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, तो राहु के प्रकोप से बचा जा सकता है।
सूर्य और चंद्रमा से बैर
राहु का उल्लेख समुद्र मंथन की कथा में मिलता है। जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र से अमृत निकला था, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को सभी देव और असुरों में बांटा था। उस दौरान राहु ने देव रूप धारण कर अमृत पी लिया। जिसकी जानकारी लगते ही सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु से कर दी। इस छल का दंड देने के लिए श्री हरि ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काट दिया, लेकिन तब तक वह अमृत पी चुका था… इसलिए उसका सिर और धड़ अमर हो गया। इसलिए यह दो नाम से जाने जाते हैं। सिर को राहु और धड़ को केतु कहा जाता है। यही कारण है कि राहु सूर्य और चंद्रमा से बैर रखता है।
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