Saphala Ekadashi 2024 : हिंदू पंचांग में, हर माह में दो एकादशी होती है। एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। एकादशी का व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारही तिथि को माना जाता है। इस व्रत में अन्न, दाल, गेहूं, चावल और अन्य अनाज नहीं खाए जाते हैं और ज्यादातर लोग उपवास करते हैं। यह व्रत श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और भक्ति की शक्ति को बढ़ाता है। इसी क्रम में जल्द ही नया साल शुरू होने वाला है। इस दौरान 7 जनवरी को साल की पहली एकादशी मनाई जाएगी। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से बताते हैं…
क्या है शुभ मुहूर्त?
दरअसल, पौष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को ‘सफला एकादशी’ कहा जाता है और इस साल 7 जनवरी को पड़ रही है जो कि देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानि 08 जनवरी को रात 10 बजकर 41 पर समाप्त होगा। वहीं, व्रती 8 जनवरी के सुबह 7 बजकर 51 मिनट से लेकर 9 बजकर 20 मिनट तक पारण कर सकते हैं।
जानिए इस दिन का महत्व?
बता दें कि सफला एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत रखकर भक्त भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन की महत्ता बहुत उच्च मानी जाती है और लोग इसे ध्यान, पूजा, दान और सेवा के साथ मनाते हैं। यह व्रत भक्तों को शुभ फल और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करता है, इसलिए यह विशेष महत्त्व रखता है। कई लोग मानते हैं कि एकादशी व्रत से पिछले जन्म के बुरे कर्मों का प्रायश्चित होता है और इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करता है।
इस दिन भूलकर भी ना करें ये कार्य?
- इस दिन राती को कांसे के बर्तन में भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- शहर, मांस, मदिरा, धूम्रपान का सेवन भी वर्जित है।
- व्रत के दौरान कामवासना को त्याग देना चाहिए।
- इस दिन पान का सेवन या फिर दातुन करना वर्जित है।
- एकादशी व्रत के पहले या फिर उसी दिन चावल से बना कोई भी भोजन ग्रहण न करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)