Govatsa Dwadashi 2023 : गोवत्स द्वादशी कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गौमाता (गाय) की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस दौरान गौमाता के साथ बछड़े की भी पूजा की जाती है। लोग गौमाता की सेवा करते हैं, उनको घास, धूप, दीपक, फूल और विभिन्न प्रकार की नैवेद्य चढ़ाते हैं। बता दें कि गौमाता की सत्ता को मान्यता दी जाती है और उन्हें समर्पित भाव से पूजा जाता है। इस साल यह व्रत 9 नवंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। भक्त गौमाता के साथ धार्मिक अनुष्ठान और पूजा करके उनकी कृपा की प्राप्ति की कामना करते हैं।
गोवत्स द्वादशी पूजा विधि
- पूजा की शुरुआत में स्नान करें।
- एक शुद्ध और साफ पूजा स्थल तैयार करें, जिसमें गौमाता और उसके बछड़े की मूर्तियां रखें।
- गौमाता की मूर्ति को सजाने के लिए रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, फल तैयार करें।
- गौमाता की मूर्ति को पूजें। इस दौरान मंत्र, श्लोक और आरती का पाठ करें।
- जिसके बाद, गौमाता की प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में आनंद और सुख लेकर आएं।
- इसके बाद, गोवत्स (गाय का छोटा बछड़ा) की पूजा करें।
- फिर गौमाता और गोवत्स की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाएं।