26 सितंबर को 59 साल बाद गुरू ग्रह आएगा धरती के बेहद करीब, जानें क्या पड़ेगा असर?

jupitar

धर्म, डेस्क रिपोर्ट। 26 सितंबर यानी नवरात्रि की पहली शाम बेहद खास बनने जा रही है।सौरमंडल का सबसे विशाल ग्रह गुरु  नवरात्रि के प्रथम दिन पृथ्वी के काफी नजदीक आ रहा है।खास बात ये है कि 60 साल में यह पहली घटना होगी, जब गुरु ग्रह पृथ्वी के इतना करीब होगा। वैज्ञानिक भाषा में इसे अपोजिशन कहा जाता है।सोमवार को  पश्चिम में जब सूर्य अस्त हो रहा होगा तब सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृृहस्पति या गुरू पूर्व दिशा में अपनी विशालता के साथ उदित हो रहा होगा। इसकी पृथ्वी से दूरी 59 करोड़ किमी से कुछ अधिक होगी और इसका प्रकाश पृथ्वी तक आने में 33 मिनिट लगेंगे।

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नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि जुपिटर एट अपोजिशन की खगोलीय घटना के कारण ऐसा होगा, जिसमें सूर्य की परिक्रमा करती हुई पृथ्वी , सूर्य और बृहस्पति के बीच पहुंच रही है जिससे तीने एक सीध में होगे। यह घटना इसलिये विशेष महत्व रखती है कि 1963 के बाद जुपिटर पृथ्वी से इतनी निकटता पर होगा। जिससे 2017 को इसके दिखे आकार की तुलना में यह 11 प्रतिशत बड़ा और लगभग डेढ़ गुना अधिक चमकीला दिखेगा।

सारिका ने बताया कि  यह मीन तारामंडल में दिखेगा और माईनस 2.9 मैग्नीट्यूड से चमक रहा होगा। पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा करते रहने के कारण हर 13 माह में जुपिटर एट अपोजीशन की घटना होती है। अगली घटना 2 नवम्बर 2023 को होगी।अगर आपके पास टेलिस्कोप या बाइनाकुलर है तो इसकी मदद से जुपिटर के चार चंद्रमा को भी देख पायेंगे। वैसे जुपिटर के अब तक 80 चंद्रमा खोजे जा चुके हैं जिनमें से 57 का नामकरण हो चुका है। तों विशाल गुरू के दर्शन के साथ कीजिये नवरात्रि की शुरूआत।

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, गुरू को धर्म, धन, ज्ञान और शुभता का कारक माना गया है।ज्योतिष के अनुसार, इसका सबसे ज्यादा असर मौसम पर दिख सकता है। दक्षिण भारत के राज्यों, बिहार, बंगाल, में जाते हुए मानसून की अच्छी बारिश हो सकती है।खास बात ये है कि सोमवार से नवरात्र शुरू हो रहे है। माता का आगमन भी हाथी पर हो रहा है जो गुरु का भी वाहन है। जो इस बात का संकेत है कि इस साल सूर्य और चंद्रग्रहण के बीच अक्टूबर नवंबर में अच्छी वर्षा होने वाली है।

26 सितंबर को 59 साल बाद गुरू ग्रह आएगा धरती के बेहद करीब, जानें क्या पड़ेगा असर?


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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