Hariyali Teej 2023 : हरियाली तीज हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। बता दें कि यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है जो जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आर्शिवाद मिलता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना के साथ माता पार्वती की पूजा करती हैं। महिलाएं हरियाली वस्त्र पहनती हैं। वे भगवान शिव और पार्वती के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करती हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको तिथि, पूजन विधि, महत्व बताएंगे…
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज सावन महीने के शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 08:01 पर आरंभ होगी। जिसका समापन 19 अगस्त 2023 को रात 10:19 पर होगा।
- सुबह का मुहूर्त: 07:47 से 09:22 तक
- दोपहर का मुहूर्त: 12:32 से 14:07 तक
- शाम का मुहूर्त: 18:52 से 19:15 तक
- रात का मुहूर्त: 00:10 से 00:55 तक
महत्व
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और 16 श्रृंगार करके उनकी आराधना करती हैं। साथ ही, कुंवारी कन्याएं भी भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं और अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। इस उत्सव के दौरान हरे रंग के कपड़े पहनने और झूला झूलने का आयोजन भी किया जाता है।
मंत्रों का जाप करें
व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा करते समय “ॐ विष्णवे नमः” और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप कर सकती हैं, जिससे वे भगवान विष्णु की कृपा आसानी से प्राप्त कर पाएंगी। इसके साथ ही, ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। जिसके बाद उन्हें दक्षिणा और द्रव्य वस्त्र आभूषणादि सहित विदा करें।
इस विधि से करें पूजा
- हरियाली तीज के दिन सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें ताकि आप शुभ ऊर्जा के साथ भगवान की पूजा कर सकें।
- एक साफ और पवित्र स्थल में भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु पूजा के लिए पीले फूल, तुलसी, घी, दीपक, धूप, अगरबत्ती, नैवेद्य, अखंड दिया, फल, नया वस्त्र आदि की आवश्यकता होती है।
- पूजा के दौरान “ॐ विष्णवे नमः” और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें।
- पूजा में पीले रंग के फूल, तुलसी दल और घी के दीपक के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति की आराधना करें।
- भगवान को पीले रंग के फूल और चना दाल में गुड़ मिलाकर भोग लगाएं।
- पूजा के बाद भगवान की आरती करें और उनकी महिमा गाएं।
- पूजा के दौरान अपनी भक्ति और प्रार्थनाओं को व्यक्त करें, भगवान से उनकी कृपा प्राप्ति की विनती करें।
- विद्वान सदाचारी ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दान, द्रव्य, वस्त्र, आभूषण, आदि के साथ विदा करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)