कर्मों के आधार पर व्यक्ति को मिलते हैं दंड, गरुण पुराण से जानें अगले जन्म में मिलेगी कौन सी योनि

Sanjucta Pandit
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Garuda Purana : गरुण पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। जिसमें मृत्यु, पुनर्जन्म, धर्म, नैतिकता और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। यह पुराण भगवान विष्णु के भक्त गरुड़ के नाम पर रचा गया है। इसमें उनकी भक्ति और ज्ञान को महत्व दिया गया है। बता दें कि इस पुराण में व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसके भविष्य का निर्धारण किया गया है। जिसके अनुसार अगले जन्म में वह किस योनि में जन्मेंगे और उनका दंड या प्रतिफल कैसे होगा यह बताया गया है। आइए थोड़ा विस्तारपूर्वक इस बारे में जानते हैं…

कर्मों के आधार पर व्यक्ति को मिलते हैं दंड, गरुण पुराण से जानें अगले जन्म में मिलेगी कौन सी योनि

जैसा कि हम सभी जानते हैं मृत्यु जीवन का नियमित हिस्सा है और यह एक सत्य है जिसे कोई भी टाल नहीं सकता। मृत्यु एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हर जीवन को अपने नियमों के अनुसार प्रभावित करती है लेकिन मरने के बाद आत्मा को किस प्रकार का दंड झेलना पड़ता है या फिर उसे किस योनि में जन्म मिलता है यह उसके पहले जन्म पर आधारित होता है।

कुल कितनी योनिया होती हैं?

गरुड़ पुराण में कहा जाता है कि संसार में कुल 84 लाख योनियाँ हैं। जिनमें पशु, पक्षी, पेड़, कीड़े-मकोड़े और मानव योनियां शामिल हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आत्मा कभी मरती नहीं लेकिन शरीर को त्यागने के बाद वो विभिन्न रूपों में जन्म लेती है। गरुड़ पुराण में आत्मा के बारे में बताया गया है कि जब वह शरीर छोड़ती है, तो उसके साथ भूख, प्यास, क्रोध, द्वेष या वासना का भाव नहीं जाता है।

आत्मा को कौन देता है न्याय?

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा यमराज के अदालत में जाती है, जहां उसके कर्मों का न्याय होता है। इस दौरान यम द्वारा उसके पूर्व जन्म में किए गए कर्मों के आधार पर आत्मा को न्याय दिया जाता है। बुरे कर्मों के लिए आत्मा को नरक की यातनाओं का सामना करना पड़ता है, जबकि अच्छे कर्मों के लिए उसे स्वर्ग में भेजा जाता है या एक बार फिर उसे मनुष्य जीवन में जन्म लेने का अवसर मिलता है।

क्यों जाना पड़ता है प्रेत योनि में?

वहीं, यदि मनुष्य प्राकृतिक तरीके से नहीं मरा हो यानि उसकी मृत्यु दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या के कारण हुई हो तो गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा को प्रेत योनि में जाना पड़ता है। इस धारणा के अनुसार, इस प्रकार की मृत्यु के बाद आत्मा भटकती रहती है और वह प्रेत योनि में चली जाती है। जिसके बाद वह कई-कई वर्षों तक भटकती ही रह जाती है और शरीर की तलाश करती है। केवल इतना ही नहीं, मौके मिलने पर वह शरीर को वश में भी करने का प्रयास करती है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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