Ram Navmi 2023 : भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी… यह कुछ लाइनें पढ़कर आज पूरा हिंदुस्तान अपने आराध्य भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाएगा। करुणा के प्रतीक राम, मर्यादा के प्रतीक राम, साहस के प्रतीक राम, प्रेम के प्रतीक राम और हर हिंदुस्तानी के मन में बसे राम। आखिर ऐसा क्यों है के इस भारतवर्ष में हर मां की बस एक ही ख्वाहिश होती है कि उसका बेटा राम बने।
आइए आज हम पढ़ते हैं कुछ ऐसी ही बातों के बारे में जिनकी वजह से यह स्थापित होता है कि क्यों हर मां, हर पिता अपने बच्चे को राम बनाना चाहते हैं।
पिता दशरथ के राजदुलारे राम
आज जहां इस समय बेटा मात्र कुछ टुकड़े जमीन के लिए अपने पिता को कोर्ट की सीढ़ियां तक घसीट लाता है वही माता कैकई के वर स्वरूप पिता राजा दशरथ के कहने पर राम 14 वर्ष के वनवास पर एक पल में चले गए। सोचिए जिस बेटे को सोने का मुकुट मिलना हो उसे वनवास मिले। लेकिन अपने पिता के वचन की आन के लिए राम हंसते-हंसते सब कुछ त्याग कर चले गए। इसलिए आज भी हर पिता अपने बेटे में राम देखना चाहता है।
माता सीता के श्री राम
रघुकुल शिरोमणि राम जिन्होंने उस शिव धनुष को तोड़कर माता सीता से विवाह रचाया था जिसे पूरे विश्व के धुरंधर राजा अपनी जगह से हिला भी ना सके चाहते तो बनवास से लौटकर जिस राजकुमारी से चाहते उस राजकुमारी से और न जाने कितनी ही राजकुमारियों से विवाह कर सकते थे। लेकिन जंगल जंगल भटक कर, वनवासियों का सहारा लेकर, त्रिलोकी विजय रावण से उन्होंने सिर्फ अपनी धर्मपत्नी माता सीता को छुड़ाने के लिए युद्ध किया। इसलिए आज भी हर पत्नी अपने पति के अंदर राम की छवि देखना चाहती है।
भाई भारत और लक्ष्मण के भैया राम
इस संसार में जहां एक भाई दूसरे भाई का गला काटने में लगा हुआ है वहीं राम ने एक भाई के लिए राज सिंहासन छोड़ा तो दूसरे भाई के मूर्छित होने पर पूरे संसार को प्रलयमई बनाने का संकल्प ले लिया, यह सिर्फ भैया राम के द्वारा ही किया जा सकता है। इसलिए आज भी हर भाई अपने भाई में राम को खोजता है।
दीनों और वंचितों के भगवान राम
चाहे केवट की बात करें, चाहे शबरी की बात करें या बात करें निषादराज की, राम ने कभी किसी को अपने से नीचे नहीं समझा। हमेशा सभी को पूरा मान दिया सम्मान दिया। शायद इसलिए आज भी हर इंसान देश में रामराज्य लाने की इच्छा रखता है।