Sawan 2023 : भारत के इस मंदिर में दिन में दो बार जल समाधी लेते हैं महादेव, ऐसी है मान्यता

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Sawan 2023 : सावन का महीना शुरू होने वाला है और यह महीना भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है। ऐसे में भक्त भी भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजन पाठ करने के साथ-साथ कई उपाय करते हैं ताकि भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करें। इतना ही नहीं सावन के वक्त हर शिव मंदिर में भक्तों का तांता भी देखने को मिलता है। अधिकतर भक्त देशभर के प्रसिद्ध से मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाना पसंद करते हैं।

अगर आप भी इस सावन किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की मान्यता भी काफी ज्यादा है। दूर-दूर से भक्त यहां पर महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं। जी हां कहा जाता है कि यहां मौजूद महादेव का शिवलिंग दिन में दो बार समुद्र में डूब जाता हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। चलिए जानते हैं उस मंदिर के बारे में –

Sawan 2023 : स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

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अब तक अपने मध्यप्रदेश के मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में तो सुना ही होगा। यहां शिवना नदी के जल से महादेव का अभिषेक होता है। ऐसा कभी कबार नहीं बल्कि हर दिन होता है। लेकिन एक ऐसा और मंदिर मौजूद है जहां दिन में दो बार भोलेनाथ का जलाभिषेक होता है। ये मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 175 किलोमीटर दूर और वडोदरा से 72 किलोमीटर दूर कावी कंबोई गांव में स्थित है। इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर महादेव है।

यहां दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर 150 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसका वर्णन शिवपुराण में भी किया गया है। खास बातें के अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा इस मंदिर में भोलेनाथ दिन में दो बार जल समाधि में चले जाते हैं। इसके लिए लीला लोगों को भी देखने को मिलती है।

अगर आपको महादेव के शिवलिंग स्वरूप के दर्शन करना है तो अल सुबह यहां आपको पहुंचना पड़ेगा और देर शाम तक रुकना पड़ेगा। यह मंदिर समुद्र किनारे स्थित है। लेकिन अब तक आपने ऐसा किसी भी मंदिर के बारे में नहीं सुना होगा जहां कोई मंदिर समुद्र के अंदर छिप जाता होगा। लेकिन स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में ऐसा होता है।

यह मंदिर सुबह और शाम के समय समुद्र के जल में छिप जाता है। इसका कारण समुद्र के ज्वार और भाटा से संबंधित है। दरअसल सुबह और शाम के वक्त समुद्र में ज्वार आता है तभी यह मंदिर जल समाधि ले लेता है। हालांकि जैसे ही ज्वार खत्म होने लगता है धीरे-धीरे मंदिर वापस से दिखने लगता है। भक्त भोलेनाथ के शिवलिंग स्वरूप के दर्शन करने के लिए यहां इंतजार करते हैं।

 


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Ayushi Jain

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