Vrishchika Sankranti 2023 : सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है और वे राशियों के माध्यम से चलते हैं। संक्रांति का आयोजन समाज के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नहाने से पापों का प्रायश्चित होता है और वे अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं। संक्रांति के दिन लोग सूर्य के पूजन, उपासना करते हैं और दान करते हैं, जिससे वे आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करते हैं। तो चलिए आज हम आपको वृश्चिक संक्रांति की विस्तापूर्वक जानकारी देते हैं…
वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त
वृश्चिक संक्रांति हिन्दूओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 17 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति है। इस दिन पुण्य काल प्रातः काल में सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर 08 बजकर 32 मिनट तक है। इस दौरान लोग उपासना, स्नान, पूजा, जप, तप और दान करते हैं।
वृश्चिक संक्रांति पूजा विधि
- तुलसी पौधे का पूजन
- पूजन स्थल को सजाने के लिए फूल, फल, नवरत्न और सुगंधित पदार्थ
- पूजन के लिए कलश, दीपक, अगरबत्ती, पूजा पुस्तक
- पांच प्रकार के फल (पंचमेव), नवधान्य और गुड़
पूजा विधि
- सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करें और सजाएं।
- तुलसी पौधे का पूजन करें, जिसके लिए ध्यान, पुष्प, चंदन और राख का तिलक लगाएं।
- कलश में पानी भरें और उस पर सुगंधित फूल, नवरत्न और फल रखें।
- कलश को पूजा स्थल में स्थापित करें और उसे पूजें।
- अब वृश्चिक संक्रांति मंत्रों के साथ सूर्य देव की पूजा करें।
- अगरबत्ती और दीपक जलाएं, जिसके बाद पूजा की पुस्तक पढ़ें।
- पांच प्रकार के फल, नवधान्य और गुड़ का दान करें।
- पूजा के बाद तुलसी पौधे का पुनः पूजन करें और इसे अपने घर में स्थापित करें।
- अंत में आरती कर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)