शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का साया आज, जानें कब रखें चांदनी में खीर, कैसे करें पूजा

Sharad Purnima

Sharad Purnima: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का काफी खास महत्व माना जाता है। साल भर में पड़ने वाली 12 पूर्णिमा में सबसे खास अश्विन माह की पूर्णिमा को माना जाता है। इसे रास पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा जैसे नाम से पहचाना जाता है। इस दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखी जाती है और भगवान को भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। लेकिन इस बार पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया है, जिसके चलते खुले आसमान के तले की जाने वाली इस प्रक्रिया को नहीं किया जा सकता। अगर आप खीर बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहते हैं और पूजन करना चाहते हैं तो चलिए हम आपको इसकी विधि बताते हैं।

क्यों खास है शरद पूर्णिमा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री कृष्णा और राधा की दिव्य रासलीलाओं की शुरुआत हुई थी। इस दिन श्री कृष्ण ने 9 लाख गोपियों के साथ अपने गोपों के रूप में ब्रिज में महारास रचाया था। यही कारण है कि इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट होता है और इस दिन यह 16 कलाओं से निपुण होता है। इसकी रोशनी और ऊर्जा में पूरा आसमान डूबा हुआ दिखाई देता है।

मां लक्ष्मी का जन्म

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए कुछ जगह पर लोग इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजन अर्चन भी करते हैं। नारद पुराण में दिए गए उल्लेख के मुताबिक इस दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर वर और अभय का वरदान लिए पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। जो जातक इस रात में जाग कर उनकी उपासना करता है वह उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

कैसे रखें खीर

शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने से इस बार अमृत वर्षा के लिए रात में खीर को खुले आसमान में नहीं रखा जा सकेगा। ऐसा भूलकर भी ना करें क्योंकि इससे यह दूषित हो जाएगी। पूर्णिमा पर लगने वाला यह ग्रहण रात 1:05 से शुरू होगा और 2:23 पर समाप्त हो जाएगा। अगर खीर का भोग लगाना चाहते हैं तो ग्रहण के बाद स्नान कर खीर बनाएं और उसे आसमान के नीचे रख दें। सुबह भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

कब करें पूजन

चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व ही इसका सूतक काल शुरू हो जाता है। आज दोपहर 3 बजे से सूतक लग जाएगा और इस समय में पूजन पाठ निषेध मानी जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देने के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का भी महत्व माना गया है। ग्रहण का सूतक शुरू होने से पहले पूजन संपन्न कर लें और इसके समाप्त होने के बाद मंत्रों का जाप करें। ग्रहण समाप्ति के बाद चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जा सकता है। इस दिन दान का विशेष महत्व माना जाता है इसलिए अपने सामर्थ्य के मुताबिक दान अवश्य करें। इससे आपके सभी कष्टों का निवारण होगा।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


About Author
Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Other Latest News