Vinayak Chaturthi: हिंदू धर्म में हर शुभ काम या फिर मांगलिक काम में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश सभी भक्तों के विघ्न यानी कि दुख हर लेते हैं। सनातन धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व होता है वैसाख माह की विनायक चतुर्थी 11 मई को मनाई जाएगी। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 11 मई को दोपहर 2:50 पर हो रही है और इसका समापन 12 में दोपहर 2:03 पर होगा। हिंदू धर्म में हर त्यौहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है इसलिए विनायक चतुर्थी भी 11 मई को मनाई जाएगी। इस दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा अर्चना और ध्यान करने से भक्तों के सभी दुख कम हो जाते हैं। इसी के साथ चलिए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए साथ ही साथ गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ कैसे करना चाहिए।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
1. सबसे पहले भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
2. भगवान गणेश जी को स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, आभूषण, फूल और माला अर्पित करें।
3. भगवान गणेश जी को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
4. धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
5. इस स्तोत्र का 11, 21 या 108 बार पाठ करें।
6. भगवान गणेश जी से अपनी मनोकामना प्रार्थना करें।
7. आरती गाएं और भगवान गणेश जी की आरती करें।
गणेश संकटनाशन स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयंकृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रंचतुर्थकम।।
लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णतथाष्टकम्।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तुविनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तुगजाननम।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।
विद्यार्थी लभतेविद्यांधनार्थी लभतेधनम्।
पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभतेगतिम्।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलंलभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभतेनात्र संशय: ।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादत:।।
इति श्रीनारदपुराणेसंकष्टनाशनंगणेशस्तोत्रंसम्पूर्णम्॥
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)