Internet को लेकर ये थी 1997 के युवाओं की परिकल्पना

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज हम जिस बात की कल्पना करते हैं..हो सकता है भविष्य में वो सच हो जाए। आज से दो ढाई दशक पहले हम ये सोच भी नहीं सकते थे कि सारी दुनिया इंटरनेट (Internet) नाम के एक जादू से बंध जाएगी। हम घर बैठे ही दुनिया के किसी भी कोने में संपर्क कर पाएंगे। घर बैठे बैंकिंग हो जाएगी, एक क्लिक पर सारी सुविधाएं मौजूद होंगी। आज के समय हम इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।

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इंटरनेट के हालिया रूप का ढांचा रखा था इंग्लिश वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली (Tim Berners-Lee) ने। उन्होने 1989 में HTML विकसित किया था। इस नए सिस्टम से दुनिया का हर इंसान कहीं से भी कोई भी जानकारी इंटरनेट पर एक URL से खोज सकता था। इसे WWW यानी WORLD WIDE WEB। इसकी सफलता के बाद इंटरनेट का विस्तार होता गया। भारत (India) में 15 अगस्त, 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा इंटरनेट सेवा शुरु की गई। 1998 में सरकार द्वारा निजी ऑपरेटरों को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई। शुरुआत में इंटरनेट की सुविधा काफी महंगी होती थी और उसकी स्पीड तथा क्वालिटी भी इतनी बेहतर नहीं थी। समय के साथ इसमें सुधार और बदलाव हुए और आज ये हमारी जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।