उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र हाल ही में गढ़ के गढ़,गैरसैंण/भरारीसैन में शुरू हुआ, लेकिन विधिक कार्यकलाप शुरू होने से पहले ही एक सुस्त और विवादास्पद माहौल का पर्दा उठ गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विपक्ष पर इतना तीखा आरोप लगाया कि उनका मानना है,वह लोकतंत्र की प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रदर्शन में लगे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सतह (House) को व्यवधानित करके विपक्ष ने लोकतांत्रिक ढांचे को ठेस पहुंचाई और जनता की महत्वपूर्ण उम्मीदों पर ध्यान नहीं दिया।
धामी खासतौर पर धराली आपदा जैसे गंभीर विषय पर चर्चा न होने का जिक्र करते हुए निराशा जता रहे थे। उनका कहना था कि जब पूरा प्रदेश मुश्किल में हो, तब विपक्ष की प्राथमिकता राजनीतिक ओझलबाजी होना चिंताजनक है। उन्हें राजनीति के बुनियादी सवाल, जैसे EVM, चुनाव आयोग और अन्य लोकतांत्रिक संस्थानों पर विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप भी नागवार गुजरे। उन्होंने कहा कि विपक्ष हर चुनाव हार के बाद यही रणनीति अपनाता आया है,सिस्टम पर आरोप लगाना ताकि अपनी हार का ठीकरा किसी और पर फोड़ दिया जाए।
जनता सच जानती है
धामी ने यह भी ठोस स्वर में कहा कि विपक्ष ने दावा किया कि सत्र कांग्रेस के कारण बंद हुआ,लेकिन वह वास्तव में लोकतंत्र के विश्वास को गिराने वाला काम था। उन्होंने कहा, “जनता सच जानती है, यदि हमने प्रक्रिया तोड़ी होती तो, लेकिन विपक्ष ने खुद सत्र रोक दिया।” विपक्ष ने अधर में लटका यह सत्र रातोंरात विरोध करते हुए पूरा करने की बात कर दी थी,लेकिन धामी का कहना है कि सत्र की कार्यवाही पूरी न हो पाई, क्योंकि विपक्ष ने चर्चाओं और सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों को रोक दिया।
करोड़ों का सप्लीमेंट्री बजट
इस राजनीतिक वाद विवाद के बीच, मुख्यमंत्री ने आखिरकार ₹5,315 करोड़ का सप्लीमेंट्री बजट और कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किए,इनमें धर्मांतरण विरोधी कानून, अल्पसंख्यक शिक्षा सुधार के बिल आदि शामिल हैं। लेकिन जैसे ही सदन में वे प्रस्तुत हुए, यह पूरा सत्र विरोध की आग में धकेल दिया गया।





