Video : हाथ में हुनर और सही नजरिया हो तो धूल मिट्टी भी बन सकती है आर्ट पीस

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एक आम व्यक्ति और कलाकार में क्या फर्क होता है। हुनर के साथ वो नजरिया ही है जो किसी को भी खास बना देता है। हम किस चीज को किस नजरिये से देखते हैं..ये सबसे अहम है। यही कारण है कि किसी को गिलास आधा भरा दिखता है तो किसी को आधा खाली। किसी को रास्ता काटने की जल्दी होती है तो कोई रास्ते में भी सौंदर्य तलाश लेता है। और हमें जो धूल मिट्टी लगती है..कोई वहां एक तस्वीर उकेर सकता है।

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आज हम आपको एक ऐसा ही वीडियो दिखाने जा रहे हैं..जिसमें एक व्यक्ति के हुनर के साथ उसका नजरिया ही सबसे बड़ा जादूगर है। आम तौर पर कहीं भी धूल मिट्टी जम जाने पर हम उसे साफ कर देते हैं। गाड़ियों के साथ भी ऐसा ही है। भला धूल से लिपटी हुई गाड़ी किसे पसंद होगी। इसीलिए हम अपनी कार बाइक या स्कूटर को समय समय पर धोते साफ करते रहते हैं। या फिर साफ करने के लिए किसी को रख लेते हैं। लेकिन कभी कभी धूल साफ न करना भी अच्छा होता है।

इस वीडियो में हम देखते हैं एक कार खड़ी है जिसपर काफी धूल जमा है। तभी कोई शख्स आता है तो कार के पीछे एक ब्रश से कुछ डिजाइन बनाने लगता है। इसके लिए वो सिर्फ धूल पर ही अपना काम कर रहा है। धूल से सनी कार का शीशा उसका कैनवस है। थोड़ी ही देर में हम हैरत में पड़ जाते हैं। जहां कुछ देर पहले हमें धूल मिट्टी नजर आ रही थी, अब वहां एक डिजाइन बनी हुई है जिसपर एक डॉग उकेरा गया है। ये बिल्कुल किसी स्टिकर की तरह लग रहा है। देखकर कोई कह ही नहींं सकता कि इसे धूल मिट्टी पर बनाया गया है। ये वीडियो हमें बताता है कि अगर सही दृष्टिकोण हो तो धूल मिट्टी भी आर्ट पीस में तब्दील हो सकती है।

https://twitter.com/Artgalleryin/status/1573251097749524480?s=20&t=UIv7u6Ww11J8vGe4zjtVeQ


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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