Spider web : स्टील से मजबूत होता है मकड़ी का जाला, जानिये कुछ रोचक तथ्य

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम सभी अपने घरों में मकड़ी के जाल (Spider web) से परेशान रहते हैं। चाहे जितनी सफाई कर लें, लेकिन जरा मौका मिला नहीं कि मकड़ी अपनी करामात दिखा जाती है। हम भले ही इसके जालों से परेशान रहें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जाले संसार में कम से कम 100 मिलियन वर्षों से मौजूद हैं। आठ पैरों वाली मकड़ी के  पेट में एक थैली (swippernet) होती है, जिससे एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिससे यह जाल बुनती है।

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मकड़ियों के पेट के सिरे पर स्थित कताई ग्रंथियों से इस रेशम का उत्पादन करती है। जब उसके पेट से चिपचिपा पदार्थ निकलता है तो हवा से मिलकर वो रेशम का रूप ले लेता है। इसे स्पाइडर सिल्क (spider silk) कहा जाता है। हर ग्रंथि एक विशेष उद्देश्य के लिए एक धागा पैदा करती है। एक रेखा पीछे की तरफ जो असल में सुरक्षा रेखा होती है। अपने शिकार को फंसाने के लिए चिपचिपा रेशम निकालकर जाल बनाना। अलग-अलग प्रकार की ग्रंथियों का अलग तरह के रेशम बनाने के लिए किया जाता है। कुछ मकड़ियां तो अपने जीवन में आठ अलग अलग तरह के रेशम बुनने में सक्षम होती हैं।

धरती पर मकड़ियों की 45,000 प्रजाति की मकड़ियां हैं। इनमें से लगभग एक चौथाई प्रजातियाँ जाले बुनती हैं। ये अपने जाल को बहुत होशियारी से बुनती है। जैसे ही इसमें कोई कीड़ा फंसता है तो जाते में कंपकंपाहट होती है। ये मकड़ी के लिए एक इशारा है और वो अपने शिकार को जकड़कर अपने जहर से घायल कर देती है। आपको ये जानकर आश्चर्य होतृृगा कि इनका जाला स्टील की तुलना में लगभग दोगुना मजबूत होता है। ये तथ्य दोनों के समान द्रव्यमान की तुलना के समय का है। ये भी एक अचरज वाली बात है कि मकड़ी अपने आकार से करीब 10 हजार गुना बड़ा जाल बुन सकती है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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