भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम सब प्रकृति से सीखते हैं। आदिम युग से तकनीकी युग तक के सफर में हमने हमेशा कुदरत, पशु-पक्षियो से बहुत कुछ सीखा है। लेकिन सीखने की प्रक्रिया हमेशा दोतरफा होती है। अगर हम जानवरों से कुछ सीखते हैं तो वो भी हमारी सोहबत में काफी कुछ नया आजमाने लगते हैं।
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आजकल जानवरों का भी शहरीकरण होने लगा है। वो जो पालतू हैं उनकी तो काफी आदतें इंसानों से मिलने लगी है। हम उन्हें कपड़े पहनाने लगे हैं, अपनी तरह का खाना खिलाने लगे हैं। उनके लिए भी वो सारे साजो सामान मौजूद है जिनका इस्तेमाल इंसान करता है। उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग देकर अपने अनुसार ढाल लेते हैं। इससे जानवरों की आदतें इतनी बदल जाती हैं कि वो फिर कभी भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में नहीं लौटते। पालतू जानवर हमारे घरों में बच्चों की तरह ही पलते हैं और वो भी हमें उसी तरह प्रेम देते हैं। इस दौरान वो हमारी आदतों को भी अपनाने लगते हैं।