Video : अचानक दीवार पर चलने लगा ड्रैगन, देखकर हो जाएंगे हैरान

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जब भी चीन (China) की बात आती है तो हमारे ज़हन में जो तस्वीर खिंचती है उसमें एक ड्रैगन (Dragon) भी शामिल होता है। चीन की संस्कृति में ड्रैगन बहुत महत्वपूर्ण है। प्राचीन चीन के सम्राट खुद को ड्रैगन मानते थे और ये शाही अधिकारी का प्रतीक भी रहा है। ड्रैगन को अलौकिक शक्तियों, अच्छाई, गरिमा, सतर्कता और प्रजनन का प्रतीक माना जाता है। वहां लोगों का मानना है कि ड्रैगन सौभाग्य लेकर आता है।

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चीनी लोग खुद को ड्रैगन का वंशज मानते हैं। इसके पीछे एक दंतकथा है जिसके अनुसार ‘चीन के पूर्वज हुंग ती द्वारा मध्य चीन का एकीकरण किया जाने से पहले चीनी राष्ट्र का टोटेम यानी गणचिंह भालू था। हुंग ती ने कबीली राजा छियु को पराजित किया और मध्य चीन का एकीकरण किया। इसके बाद जो कबीले उनके पक्ष में आए उन्हें मिलाने के लिए टोटेम के रूप में भालू का त्याग कर एक नया चिन्ह लिया गया जो था ड्रैगन। ड्रैगन की आकृति भालू के सिर और सांप के शरीर को मिला कर बनाई गई थी। ड्रैगन वाला टोटेम हुंगती के पितृ व मातृ टोटेमों का मिश्रित रूप था और इसकी आकृति बहुत विशेष थी।’ बाद में चीनी राष्ट्र के ड्रैगन कई अलग अलग रूपों में दिखाई दिए और धीरे धीरे इसकी लिपि भी बनाई गई।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।