सीबीडीटी (CBDT) द्वारा जारी रिपोर्ट में कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के तीन विभागीय मंत्रियों की भूमिका की जांच करने की बात कही गई है। इन तीन मंत्रियों में तत्कालीन महिला एवं बाल विकास की मंत्री इमरती देवी (Imarti Devi), परिवहन विभाग मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) और खनिज विभाग मंत्री प्रदीप जायसवाल (Pradeep Jaiswal) का नाम शामिल है। वहीं अगर देखा जाए तो 2020 के मार्च में ज्योतिरादित्या सिंधिया के साथ उनके खेमे के 22 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ के बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसमें इमरती देवी और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस का नाम शामिल है। वही प्रदीप जायसवाल द्वारा भी बीजेपी को समर्थन दिया गया है, जिसके बाद प्रदीप जायसवाल को खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है।
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बताया जा रहा है कि सीबीडीटी ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें तत्कालीन मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार में मंत्री रही इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत, प्रदीप जायसवाल पर इस मामले को लेकर गाज गिर सकती हैं। रिपोर्ट में महिला एवं बाल विकास विभाग, खनिज विभाग और परिवहन विभाग के इन मंत्री की भूमिका की जांच करने की बात की गई है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में इन विभागों में मंत्री रहे इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत, प्रदीप जायसवाल को लेकर जांच भी शुरू की जा सकती हैं और जांच के उपरांत इन मंत्रियों पर ईओडब्ल्यू द्वारा कार्रवाई भी की जा सकती है।
बता दें कि 28 सीटों पर हुए मध्य प्रदेश में उपचुनाव में डबरा से इमरती देवी चुनाव हार गई हैं। वहीं वर्तमान में मंत्री पद पर गोविंद सिंह राजपूत दावेदार हैं । ज्ञात हो तो उप चुनाव से पहले गोविंद सिंह राजपूत को बीजेपी ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। जिन मंत्रियों पर गाज गिरने की बात कही जा रही है वह सभी मंत्री अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार है। अब यह देखना खास होगा कि इन मंत्रियों के खिलाफ जांच होती है और जांच के बाद क्या कार्रवाई की जाती है।
वही बुधवार को चुनाव आयोग ने सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने को लेकर सरकार को निर्देश दिए थे। इन अधिकारियों पर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में काले धन का उपयोग करने के आरोप लगे थे। इन आईपीएस अधिकारी में सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वीमधु कुमार का नाम शामिल है। वहीं इस मामले में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर भी गंभीर आरोप लगे हैं।
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बता दें कि साल 2019 के अप्रैल महीने में इनकम टैक्स की दिल्ली विंग द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सलाहकार राजेंद्र मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़ और कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और कारोबारी अश्विनी कुमार के कुल 52 ठिकानों पर छापे मार कार्रवाई की गई थी। इस कार्रवाई में ₹14 करोड़ नगद आयकर विभाग को मिले थी। इसके साथ ही विभाग को कुछ डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें भी मिली थी जिसमें करोड़ो रुपए के लेन-देन का हिसाब था उसे भी विभाग द्वारा जब्त किया गया था।
वही इन दस्तावेजों में यह बात भी सामने आई थी कि राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय पर 20 करोड़ की राशि भेजी गई थी। वहीं विभाग द्वारा मारे गए छापे में कुल 221 करोड़ रुपए लेने देने का भी प्रुफ मिला था, यह पैसे विभिन्न कारोबारी राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों से इकट्ठे किए गए थे और हवाला के जरिए राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय जो कि दिल्ली के तुगलक रोड पर स्थित है वहां भेजे गए थे।