Damoh By Election – इस पूर्व मंत्री के पुत्र के बगावती तेवर! बीजेपी प्रत्याशी को दे सकते हैं चुनाव में चुनौती

by election
भोपाल डेस्क, मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में एक बार फिर  भाजपा (bjp) और कांग्रेस (congress) के बीच शक्ति परीक्षण होने वाला है। परीक्षण स्थल बना है दमोह (damoh) जहां पर 17 अप्रैल को उपचुनाव (by election) होंगे और 2 मई को परिणाम आएगा। यह सीट कांग्रेस विधायक राहुल लोधी (rahul lodhi) के द्वारा बीजेपी का दामन थामने के बाद खाली हुई है।

दमोह उपचुनाव 2021: 17 अप्रैल को मतदान, दांव पर राहुल लोधी की साख, BJP के सामने भी चुनौती

मूलत बीजेपी की ओर से इस सीट पर जयंत मलैया (jayant malaiya) पिछले काफी लंबे समय से चुनाव लड़ते रहे हैं। जयंत बीजेपी के एक ऐसे नेता माने जाते हैं जो विनम्र, सहदय और ईमानदार छवि का है। लंबे समय तक मलाईदार विभागों के मुखिया रहने के बावजूद मलैया के दामन पर कोई दाग नहीं। उनकी पत्नी सुधा मलैया (sudha malaiya) भी राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी की कार्यकारिणी में रह चुकी है और उनका भी अच्छा खासा प्रभाव है। मलैया की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया संभाल रहे हैं और मलैया ने पिछले चुनाव के दौरान ही यह घोषणा कर दी थी कि वे अब राजनीतिक जीवन में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे तो सिद्धार्थ को पूरी उम्मीद थी कि पिता की विरासत के स्वाभाविक उत्तराधिकारी वे होंगे। लेकिन राहुल लोधी द्वारा बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सिद्धार्थ की उम्मीदों पर तुषारापात हुआ है। इस पूरे मामले में दिलचस्प बात यह भी है कि चुनावों की घोषणा के पहले ही कुछ दिन पूर्व दमोह के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री (chief minister) शिवराज सिह चौहान (shivraj singh chauhan) ने लोगों से राहुल लोधी को आशीर्वाद देने की बात कह डाली। यानि यह साफ है कि राहुल लोधी ही आने वाले विधानसभा चुनाव (By Election) में बीजेपी की ओर से प्रत्याशी होंगे।

By- Elections: 1980 के बाद इस लोकसभा सीट पर पहली बार होंगे उपचुनाव, निर्वाचन की तैयारी शुरू

स्वाभाविक तौर पर सिद्धार्थ के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह  लग ही गया है। अब सिद्धार्थ और उनके समर्थक इस बात पर अडिग हैं कि राहुल लोधी को चुनौती देंगे और चुनावी मैदान में उतरेंगे। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सिद्धार्थ को यह आश्वासन दे चुके हैं कि वे उन्हें कहीं ना कहीं एडजस्ट करेंगे। बावजूद इसके, सूत्रों की मानें तो  सिद्धार्थ मानने को तैयार नहीं। यदि सिद्धार्थ मैदान में उतरते हैं तो निश्चित रूप से यह बीजेपी के लिए नुकसानदायक होगा।
अब ऐसे में सिद्धार्थ को मनाने की जिम्मेदारी उनके पिता और माता पर ही होगी। जयंत मलैया का अब तक का राजनीतिक जीवन निर्विवाद और निष्कलंक रहा है और पूरी तरह से बीजेपी के प्रति समर्पित अपनी राजनीतिक पारी के अंतिम चरण में  नहीं चाहेंगे कि पार्टी उनके ऊपर किसी तरह का दोषारोपण करें। अब देखना यह है कि क्या सिद्धार्थ अपने पिता की बात मानेंगे या फिर चुनावी दंगल में ताल पर ताल ठोकते नजर आएंगे।

About Author
Virendra Sharma

Virendra Sharma