पहला ग्रीन कारिडोर शैल्बी अस्पताल से चोइथराम अस्पताल के लिए बना। इस दौरान मात्र नौ मिनट में लीवर पहले अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचाया गया।
बता दे, खरगोन जिले के ग्राम दसोड़ा निवासी मायाराम बिरला की ब्रेनडेड के बाद उनके परिजनों ने सोमवार सुबह मायाराम का लीवर और दोनों किडनियां दूसरे मरीजों में प्रत्यारोपित करने के लिए दान कर दिए। अंगदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनके परिजन शव लेकर रवाना हुए और इधर अंगदान में प्राप्त अंगों को अन्य मरीजों में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
तीन मिनट में पहुंची किडनी
दूसरा ग्रीन कारिडोर शैलबी अस्पताल से सीएचएल अस्पताल के लिए बना, जहां महज तीन मिनट में किडनी पहुंचाई गई, जबकि एक किडनी शैलबी अस्पताल में भर्ती मरीज को ही प्रत्यारोपित की गई।
आपको बता दे, ग्राम दसोड़ा निवासी मायाराम बिरला की तबीयत 30 मई को अचानक खराब हो गई थी, जिसके बाद वे गश खाकर गिर पड़े थे। इसके बाद उनके परिजनओं ने उन्हें इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जांच में पता चला कि उनके दिमाग में खून के थक्के जम गए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें शैल्बी अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां डाक्टरों ने मायाराम को रविवार की सुबह करीब 9.45 पर फिर दोपहर 3.47 बजे दूसरी बार ब्रेनडेड घोषित किया।
मरीज की ब्रेनडेड के बाद मुस्कान ग्रुप के स्वयंसेवकों ने उनके स्वजन से चर्चा कर उन्हें मरीज के अंगदान के लिए प्रेरित किया, जिसे परिजनों ने स्वीकार भी कर लिया।