Betul Suicide : पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आदिवासी युवक ने लगाया मौत को गले, परिजनों ने किया प्रदर्शन

Gaurav Sharma
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बैतूल, वाजिद खान। बुधवार को बैतूल में ग्रामीणों ने युवक के शव को थाने के सामने रखकर प्रदर्शन किया। मामला चिचोली थाना क्षेत्र के सेहरा गांव का है, जहां आदिवासी युवक (Tribal youth) ने जहर खाकर आत्महत्या (Committed suicide) कर ली। घटना पर परिजनों ने पुलिस प्रताड़ना (Police harassment) का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि दो साल पहले एक युवक की हत्या (Murder) हो गयी थी। इसी हत्या (Murder) के मामले को लेकर पुलिस युवक को परेशान कर रही थी।जिससे परेशान होकर युवक ने जहर खाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली।

मौत के बाद गांव में तनाव का माहौल बन गया और ग्रामीणों और आदिवासी संगठन ने आक्रोश जताते हुए शव को थाने के सामने रखकर प्रदर्शन किया। ग्रामीण प्रताड़ित करने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। जिसके बाद मौके पर पुलिस बल तैनात कर ग्रामीणों को समझाईश देने का प्रयास किया जा रहा था। ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता देख मौके पर बैतूल एसडीएम सीएल चनाप पहुंचे और मामले को शांत करने ग्रामीणों को जानकारी दी कि एसपी द्वारा प्राथमिक तौर पर टीआई को हटा दिया गया है और मामले की जांच की जाएगी और पीड़ित परिवार के बच्चों को स्कूल में दाखिला और प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया जाएगा। साथ ही परिजनों को अंत्येष्टि के लिए दस हज़ार रुपये सहायता राशि दी गई, जिसके बाद कार्रवाई से संतुष्ट होकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन खत्म किया।

Betul Suicide : पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आदिवासी युवक ने लगाया मौत को गले, परिजनों ने किया प्रदर्शन


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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