भाजपा नेता की मांग- कमलनाथ के PSO के फोन की CDR की जांच हो

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 3 नवंबर (3 November) को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की 28 सीटों पर हुए उपचुनावों (By-election) के बाद और नतीजों से पहले सियासी पारा जमकर हाई है। नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर तेजी से चल रहा है। एक तरफ कांग्रेस (Congress) हार के डर के चलते BJP पर बसपा (BSP) और निर्दलीय विधायकों (Independent MLAs) को प्रलोभन देकर अपने पाले में करने का आरोप लगा रही है, वही दूसरी तरफ भाजपा नेता हितेष वाजपेयी (BJP leader Hitesh Vajpayee) ने राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) की जोड़ी पर सवाल खड़े किए है और कमलनाथ के PSO के फोन की जांच की मांग की है।

दरअसल, हितेष वाजपेयी(Hitesh Vajpayee) ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) के पीएसओ के फोन की सीडीआर की जांच की मांग की है। वही दिग्विजय-कमलनाथ की जोड़ी पर भी सवाल खड़े किए है। हितेष वाजपेयी ने ट्वीट कर लिखा है कि  कमलनाथ जी के पीएसओ के फोन की CDR की जांच होना चाहिए। एमपी कांग्रेस फिर खेल की तैयारी कर रहे हैं!लोकतंत्र के लिए बहुत शर्मनाक हैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी!

नतीजों से पहले वाजपेयी के इस ट्वीट ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। हालांकि अभी तक कांग्रेस या कमलनाथ या फिर किसी अन्य नेता द्वारा इस आरोप पर प्रतिक्रिया सामने नही आई है।अब देखना है कि कांग्रेस या फिर खुद कमलनाथ इस बात का पलटवार कैसे करते है।

क्या होती है CDR जांच
CDR का मतलब कॉल डिटेल रिकॉर्ड होता है।इसमें मोबाइल (Mobile) यूज़ करने वाले का नाम होता है। किसी व्यक्ति की CDR से पता चलता है कि उसने कितने कॉल किए, कितने कॉल रिसीव किए, किन नंबरों पर कॉल किया, किन नंबरों से कॉल रिसीव हुआ। कॉल की डेट, टाइम यानी कितने समय तक बात हुई। किन नंबरों पर मैसेज भेजे गए, किन नंबरों से मैसेज रिसीव हुए, इसकी भी डिटेल होती है।सबसे जरूरी बात ये कि CDR से ये भी पता चलता है कि कॉल कहां से की गई यानी फोन करने वाले की लोकेशन क्या थी। जिसको कॉल किया गया है, उसकी लोकेशन क्या थी। कॉल कैसे कटी? नार्मल तरीके से या कॉल ड्राप हुआ? जैसे सवालों के भी जवाब मिल जाते है।

 

 

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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