भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में सीबीडीटी (CBDT) की रिपोर्ट (report) के बाद नेताओं के सुर बदले बदले से नजर आ रहे हैं। कांग्रेस (congress) से बीजेपी में शामिल हुए नेता भी अब एक ही धुन में कांग्रेस नेताओं का समर्थन कर रहे हैं। नेताओं का साफ कहना है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इसके साथ ही सीएम शिवराज (CM Shivraj) का कहना है कि जांच के बाद जिनका भी नाम सामने आएगा। उन पर कार्रवाई की जाएगी। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी बीजेपी की पोल खोलने का काम शुरू कर दिया है।
दरअसल पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) का नाम 2018 लोकसभा के काले धन के लेनदेन में शामिल होने पर उन्होंने कहा था कि उन्हें बदनाम करने की साजिश है और यदि उन्होंने चुनाव में पैसा लिया है तो जांच एजेंसी ने अब तक कोई नोटिस क्यों नहीं जारी की है। अब यही बात कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए शिवराज के मंत्री और विधायक (MLA) भी कहते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि सीबीडीटी (CBDT) की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार और लोकसभा चुनाव 2018 में हुए काले धन के लेन-देन में कमलनाथ सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम शामिल हैं। जिनमें से अब इनमें से 2 मंत्री और 11 विधायक शिवराज सरकार के खाते में पहुंच गए हैं। इसके बाद इस मुद्दे पर बीजेपी कुछ भी खुलकर कहने से बच रही है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं
वहीं दूसरी तरफ अब तक इस मामले में सिंधिया समर्थक नेताओं के नाम सामने आने के बावजूद राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। जबकि शिवराज सरकार के 13 मंत्री और विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं। उनमें 8 सिंधिया समर्थक है।
कांग्रेस का राजनीतिक गूगली
हालांकि कांग्रेस इस मामले में अपना राजनीतिक पक्ष चल रही है। कांग्रेस नेता ने जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या बीजेपी में जाने के बाद वह सारे लोग पवित्र हो गए। जिनके नाम इन घोटाले में सामने आ रहे हैं या उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। जबकि दूसरी तरफ से शिवराज सरकार लगातार सीबीडीटी की रिपोर्ट पर चर्चा कर रही है। वहीं जांच के आदेश दिए गए हैं।
अब इस मामले में एक ही तराजू के दो पलड़ों की तरह कांग्रेस और कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए नेताओं के सुर शिवराज सरकार के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में जांच की निष्पक्षता और कार्रवाई को लेकर शिवराज सरकार का अगला कदम क्या होता है। यह देखना दिलचस्प है।